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________________ ( ३५९ ) पुस्तक करने के अतिरिक्त लेश्या कोश, क्रिया कोश और मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास संस्था द्वारा प्रकाशित कर जैन समाज का ही नहीं अनुसंधेत्सु छात्रों विद्वानों का भी बड़ा उपकार किया है । — भँवरलाल नाहटा इस कोश में भगवान महावीर के चतुविध संघ के प्रमाण का निरूपण, भगवान महावीर के शासन में पार्श्वनाथ की परंपरा, सर्वज्ञ अवस्था के विहार स्थल आदि का सांगोपांग विवेचन है । 'योगकोश' प्रथम खण्ड पर प्राप्त समीक्षा योग कोश ( प्रथम खण्ड ) – सम्पादक श्रीचन्द चोरड़िया, न्याय तीर्थं । प्रकाशक जैन दर्शन समिति, १६ / सी, डोवर लेन, कलकत्ता ७०००२९ । सजिल्द मूल्य १०० ) । - डा० ज्योतिप्रसाद जैन आज से अड़तीस वर्ष पूर्व आचार्य श्री तुलसी ने आगम संपादन के कार्य करने की घोषणा की थी । संपादन का एक अंग कोश है । तत्त्वज्ञ श्रावक श्री मोहनलालजी बांठिया ने इस कार्य को अपने ढंग से करना शुरु किया । कोश का निर्माण दृढ़ और स्थिर अध्यक्षसाथ से ही होता है । वे मनोयोग से लगे । उन्हें सहयोगी मिले श्री श्रीचन्द चोरड़िया ( न्यायतीर्थ ) अस्वस्थ रहते हुए श्री बांठियाजी इस कार्य को करते रहे । उनके देहान्त ( २३-९-१९७६ ) होने के बाद उनके अधुरे कार्य को पूरा करने में लगे हुए हैं - श्री श्रीचन्द चोरड़िया । सीमित साधन सामग्री में वे जो कुछ कर पा रहे हैं, वह उनके दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है । क्रिया कोश, लेश्या कोश, मिध्यात्वी का आध्यात्मिक विकास, वर्धमान जीवन कोश ( खण्ड १, २, ३ ) के पश्चात् अब योग कोश को सम्पन किया है । स्तुत्य है । आगमों के इन अन्वेषणीय विषयों पर कोई भी चले अनुमोदनीय है, अनुकरणीय है । फिर भी जैन दर्शन समिति का यह प्रकाशन विशेष संग्रहणीय बन पड़ा है । श्रम का उपयोग कितना होता है- यह तो शोधकर्ताओं पर निर्भर करता है । कोश की श्रृंखला विराम न ले, चोरड़िया में स्वाध्याय व सृजन दोनों की वृद्धि हो - इसी शुभाशंषा के साथ | कलकत्ता- माघ शुक्ला ५, २०५० मुनि सुमेर ( लाडणू ) प्रस्तुत पुस्तक स्व० मोहनलाल जी बांठिया द्वारा प्रारंभित जिनागम समुद्र अवगाहन कर विभिन्न जीवन आदि विषयों की श्रृंखला का दशमलव वर्गीकरण द्वारा पुष्प ग्रन्थ रहन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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