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________________ ( ३१५ ) राशि युग्म में कृतयुग्म राशि कृष्णलेशी भवसिद्धिक नारकी आदि के विषय में कृष्ण लेश्या के चार उद्देशक के समान भवसिद्धिक कृष्णलेशी जीवों के चार उद्देशक कहना चाहिए | एवं जीलले सभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा । एवं काउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा। तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा ओहियसरिसा पहले सेहि वि चत्तारि उद्दसगा । चाहिए। - भग० श० ४१ । म० ३७ से ४ - भग० श० ४१ । श० ४१ से ५६ इसी प्रकार नीललेश्यावाले भवसिद्धिक जीवों के भी चार उद्देशक जानना सुक्कलेस्सेहि कि चत्तारि उहसगा ओहियसरिसा चाहिए । इसी प्रकार कापोतलेश्यावाले भवसिद्धिक जीवों के भी चार उद्देशक जानना इसी प्रकार तेजोलेश्यावाले भवसिद्धिक जीवों के भी ओधिक के समान चार उद्देश हैं। इसी प्रकार पद्मलेश्यावाले भवसिद्धिक जीवों के भी चार उद्देशक हैं। शुक्ललेश्यावाले भवसिद्धिक जीवों के भी अधिक के समान चार उद्देशक जानो । १- अभवसिद्धिय रासीजुम्मकडजुम्मणेरइया गं भंते ! कओ उववज्जंति ? जहा पढमोउद्देगो । णवरं मणुस्सा णेरइया य सरिसा भाणियत्वा । सेस तहेव । सेवं भंते ! एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देगा । - भग० श० ४१ । श० ५७ से ६० कृतयुग्म राशि अभवसिद्धिक नारकी आदि का प्रथम उद्देशक के अनुसार जानना चाहिए । लेकिन मनुष्य और नारकी का कथन समान जानो । २ - कण्हलेस - अभवसिद्धिय रासीजुम्मकडजुम्मणेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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