SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २७४ ) काययोगी जीवों में कृति, नोकृति व अवक्तव्य संचित अनन्त है। औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी जीवों में कृति संचित जीव अनन्त है। क्योंकि, इनमें अन्तर के बिना गंगाप्रवाह के समान अनन्त जीवों का प्रवेश है। .५ संचयानुगम-सत्परुपणा की अपेक्षा योगी जीव और कृति तत्थ संतपरूपणवदाए अत्थि णिरयगदीए णेरइया कदि-नोकदि-अवत्तव्व संचिदा।x x x एवं x x x पंचमणजोगि-पंचवचिजोगि-कायजोगि-वेउव्वियकायजोगि x x x वत्तव्वं । एदेसु सांतरूवक्कमणवंसणादो। x x x आहारदुग्ग-वेउन्विमिस्स x कदि-गोकदि-अवत्तव्वसंचिदा सिया अस्थि सिया णत्थि। __x x x अवसेसासु मग्गणास्सु ( ओरालिय-कायजोगि-ओरालियमिस्स कायजोगि-कम्मइयकायजोगि ) अत्थि कतिसंचिदा, गोकदि-अवत्तवेहि एदेसु पवेसाभावादो।xxx -षट् खण्ड• ४ । १ सू ६६ । टीका । पु ९ । पृष्ठ० २८१ उनमें सत्प्ररुणा की अपेक्षा नरकगति में नारकी जीव कृति, नोकृति और अवक्तव्य संचित है। इसी प्रकार पांच मनोयोगी, पांच वचनयोगी, काययोगी, वैक्रियिककाययोगी जीवों में कहना चाहिए। क्योंकि इनमें सान्तर उपक्रमण देखा जाता है । आहारद्विक-आहारक-आहारकमिश्रकाययोगी, वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीव कृति, नोकृति व अवक्तव्य कथंचित् है और कथंचित् नहीं है। शेष मार्गणाओं में (औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी) जीव कृति संचित है क्योंकि इनमें नोकृति संचित और अवक्तव्य संचितों के प्रवेश का अभाव है। .६ करणानुगम से संचित योगी जीवों में करणकृति __ पंचमणजोगीसु पंचवचिजोगीसु अत्थि ओरालियवेउब्धिय-आहारपरिसादणकदी संघादण-परिसादणकदी [च। संघादणकवी ] किण्ण उत्ता? ण संघादणकदीए कायजोगं मोत्तण अण्णजोगाभावादो। तेजा-कम्मइयाणं संघादणपरिसादणकदौ अस्थि । कायजोगीणमोघमंगो। गवरि तेजा-कम्मइयपरिसादणं पत्थि, अजोगि मोत्तूण अण्णत्थ तस्सामावादो। ओरालिकायजोगीसु अत्थि ओरालियसरीरपरिसादणकदी संघावण-परिसादणकदी वेउब्धियतिष्णिपदा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy