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________________ ( २२३ ) से एक समय और उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्तकाल तक रहते हैं । वैक्रियकाययोगियों की प्ररूपणा मनोयोगियों के समान है । वैक्रियमिश्रकाययोगियों में तीन पद वाले कितने काल तक रहते हैं | नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट से पल्योपम के असंख्यातवें भाग मात्र अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते हैं । क्योंकि पल्योपम के असंख्यातवें भाग मात्र उपक्रमण वार शलाकाओं से उत्पन्न होने पर यह काल प्राप्त होता है । अपेक्षा जघन्य व उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्तकाल तक रहते हैं । एक जीव की आहारककाययोगियों में तीनों पद वाले कितने काल तक रहते हैं ? नाना व एक जीव की अपेक्षा जघन्य से एक समय और उत्कर्ष से अन्तर्मुहूतकाल तक रहते हैं । आहार मिश्रका योगियों में तीनों पद वाले कितने काल तक रहते हैं ? नाना व एक जीव की अपेक्षा जघन्य व उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्त काल तक रहते हैं । कार्मण काययोगियों में कृति, नोकृति व अवक्तव्य संचित काल कितने काल तक रहते हैं । नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल रहते हैं । एक जीव की अपेक्षा जघन्य से एक समय और उत्कृष्ट तीन समय तक रहते हैं । - १२ करणकृति अनुगम में कालानुगम से संचित जीव को कृतिरूपस्थिति पंचमण जोगि पंचवचिजोगीसु ओरालिय-वेउब्वियपरि सादणकदी ओरालिय- वे उव्यिय - तेजा - कम्मइयसंघादणपरिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण अतोमुहुत्तं । आहार दोपदाणमोघो । कायजोगीसु ओरालियसंघादण-परिसादणकदीए वेउब्वियपरिसारण-संघादणपfरसादणकदीणं तिरिक्खभंगो। ओरालियसंघादण - परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण बावीसवास सहसाणि समऊणाणि । वेउव्वियसंघादणकदी ओघो । आहारसंघादणकदी ओघो । सेसदोपदाणं मणजोगिभंगो। तेजा - कम्मइयसंघादण-परिसादणकदो णाणाजीव पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहणणेण अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण अनंतकालमसं खेज्जा पोग्गलपरियट्टा । ओरालियकायजोगीसु ओरालियसंघादण-परिसादणकदी तेजा-कम्मइयसंघादण परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण बावीसवाससहस्साणि देसुणाणि । वेउव्वियसंघादणकदी णाणाजीव पडुच्च जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण आवलियाए असंखेज्जदिभागो । एगजीवं पच्च जहष्णुक्कस्सेण एगसमओ । वेउब्वियपरिसादण संघादणपरि 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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