SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ५२ ) २९.५ सयोगी ( काययोगी ) वायुकायिक में कषायोपयोग के विकल्प वायुकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में वासित काययोगी वायुकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने ( देखो पाठ २९२ )। •२९.६ सयोगी ( काययोगी ) बनस्पतिकायिक में कषायोपयोग के विकल्प वनस्पतिकायिक के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में वासित काययोगी वनस्पतिकायिक में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । वे क्रोधोपयोग वाले भी है, मानो. पयोग वाले भी है, मायोपयोग वाले भी है, लोभोपयोग वाले भी है (देखो पाठ २९.२)। •२९.७ सयोगी द्वीन्द्रिय ( काय योगी-वचन योगी ) के कषापयोगी के विकल्प बेइंदिय तेइंदियचरिदियाणं जेहिं ठाणहि नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं असीईचेव, नवरं अम्भहिया सम्मत्ते । आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे य, एएहि असोइ भंगा, जेहिं ठाणेहि नेरइयाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु सव्वेसु अभंगयं । -भग० श १ । उ ५ । सू १९३ द्वीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में वासित काययोगी तथा वचनयोगी द्वीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । •२९८ सयोगी वीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प त्रीन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में बसे हुए काययोगी, वचनयोगी त्रीन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने। वे क्रोधोपयोग वाले, भी है, मानोपयोग वाले भी है, मायोपयोग वाले भी है, लोभोपयोग वाले भी है ( देखो पाठ २९७)। '२९.९ सयोगी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प चतुरिन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में वासित काययोगी, वचनयोगी चतुरिन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने ( देखो पाठ २९७)। •२९.१० सयोगी तिर्यच पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहानेरइया तहा भाणियन्वा, नवरं मेहि सत्तावीसं भंगातेहिं अभंगयं कायव्वं जत्थ असीई तत्थ असीइ चेव। -भग० श १ । उ ५ । सू १९४ तिर्यंच पंचेन्द्रिय के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास मे वासित काययोगी, वचनयोगी व मनोयोगी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy