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________________ ( १० ) '८.४ जीव समास के आश्रय से योग विभाग प्रतिच्छेद का स्वस्थान अल्पबहुत्व चोद्दसजीवसमासाणं जोगाविभागपडिच्छेदप्पाबहुगं तिविहं सत्थाणं परत्थाणं सव्वपरत्थाणमिदि। तत्थ ताव सत्थाणं वत्तइस्सामो। तं जहा - सव्वत्थोवा सुहमेइंदियलद्धिअपज्जत्तयस्स जहण्णुववादजोगट्टाणस्स अविभागपडिच्छेदा । तस्सेव उक्कस्सुववादजोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। तदो तस्सेव जहण्णएगताणुवड्डिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा । तस्सुपरि तस्सेव उक्कस्सएगताणुवड्डिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। तस्सेव जहण्णपरिणामजोगट्ठागस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। तस्सुवरि तस्सेव उक्कस्सपरिणामजोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। एवं सेसाणं पि लद्धिअपज्जत्तजीवसमासाणं सत्थाणप्पाबहुगं भाणिदव्वं ।। सव्वत्थोवा सुहुमेइंदियंणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स जहण्णउववादजोगट्टाणस्स अविभागपडिछेदा। तस्सेव उक्कस्सउववादजोगट्टाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। तदो तस्सेव जहण्णएगंताणुवड्डिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। तदो तस्सेव उक्कस्सएयंताणुवड्डिजोगस्स अविभागपडिच्छेदा असंखेज्जगुणा। एवं सेसाणं छण्णं णिव्वत्तिअपज्जत्ताणं सत्थाणप्पाबहुगं भागिदव्वं । सव्वत्थोवा सुहुमेइंदिय णिन्वत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णपरिणामजोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा। तस्सेव उक्कस्सपरिणामजोगट्ठाणस्स अविभागपडिच्छेदा असंखज्जगुणा। एवं सेसाणं पि छण्णं णिव्वत्तिपज्जत्ताणं सत्थाणप्पाबहुगं वत्तव्वं। -षट् खण्ड ४ । २ । ४ सू १७३ । पु १० पृष्ठ ४०४ । ५ चौदह जीवसमासों का योग विभाग प्रतिच्छेद अल्पबहुत्व तीन प्रकार का होता है-स्वस्थान, परस्थान और सर्वपरस्थान । स्वस्थान अल्पबहुत्व-सूक्ष्म एकेन्द्रिय लब्ध्य पर्याप्त के जघन्य उपपाद योगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद सबसे स्तोक हैं। उनसे उसी के उत्कृष्ट उपपादयोगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यात गुणे हैं। उनसे उसी के जघन्य एकान्तानुवृद्धि योगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उससे आगे उसी के उत्कृष्ट एकान्तनुवृद्धि योगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यातगुणे हैं। उनसे उसी के जघन्य परिणाम योगस्थान सम्बन्थी अविभाग प्रतिच्छेद असंख्यात गुणे हैं। उससे आगे उसी के उत्कृष्ट परिणाम योगस्थान सम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेद असंख्यात्गुणे हैं। इसी प्रकार शेष लब्ध्यपर्याप्त जीवसमासों के भी स्वस्थान अल्पबहुत्व जानना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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