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________________ पृष्ठ २७१ २७२ २७२ २७२ २७२ २७२ २७३ २७३ २७४ २७९ سر U ( 110 ) विषय •४८.१ आयुषकर्म के बंधन के समय जघन्य योग होता है '४९ योग और कृत-नोकृति, अवक्तव्यकृति .२ प्रथम-अप्रथम अपेक्षा योगीजीव और कृति औदारिक काययोगी औदारिकमिश्र काययोगी कार्मण काययोगी '३ चरम-अचरमानुगम की अपेक्षा योगी जीव और कृति ४ संचयानुगम में द्रव्यानुगम की अपेक्षा योगी-जीव और कृति .५ संचयानुगम-सत्परुपणा की अपेक्षा योगी जीव और कृति । '६ करणानुगम से संचित योगी जीवों में करणकृति •७ करणकृति अनुगम में स्पर्शानुगम में क्षेत्रानुगम से कृतियुक्त संचित जीव '८ अंतरानुगम से करण कृति की अपेक्षा योग '०९ भावानुगम से करण कृति की अपेक्षा योग .१० करणानुगम में संचित योगी जीवों की संघातनादि कृति युक्त कितने क्षेत्र में अवस्थिति .११ करणानुगम में संचित योगी जीवों की संघातनकृति आदि कृति करते हुए कितनी संख्या •४९ उपपातयोग-परिणामयोग-एकान्तानुवृद्धियोग •५० समय व संख्या की अपेक्षा सयोगी जीव की उत्पत्ति-मरण अवस्थिति१ नरक पृथ्वियों में ३ देवावासों में •५१ सयोगी जीव और अल्पकर्मतर-बहुकर्मतर .५२ सयोगी जीव और अल्पऋद्धि-महाऋद्धि .५३ सयोगी क्षुद्रयुग्म जीव '५३.१ सयोगी क्षुद्रयुग्म नारकी का उपपात - .५ ३.५ कृष्णलेशी क्षुद्रकृत युग्म प्रमाण राशि का योग रूप व्यापार से उपपात तथा परभव के आयुष्य का बंधन .५३.६ क्षुद्रव्योज राशि प्रमाण कृष्ण लेशीवाले नारकी का उपपात व परभव का आयुष्य बंध .५३.७ कृष्णलेशी क्षुद्रद्वापर राशि प्रमाण नारकी व उपपात क - परभव के आयुष्य का बंध .५३.८ कृष्णलेशी क्षुद्रकल्योज राशि प्रमाण नारकी का उपपात तथा परभव के आयुष्य का बंधन .. २८१ २८२ २८६ २८६ २९३ २९९ २९९ २९९ ३०० ३०१ ३०२ ३०२ .३०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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