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________________ १४ कल्योज योज १५ कल्योज द्वापर युग्म १६ कल्योज - कल्योज एक्को गमओ । ( २५८ ) " " xxx सेसं तहेब जाव अणंतक्खुत्तो। एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु - भग० श ३५ । श १ । उ १ " ये सब एकेन्द्रिय जीव मनोयोगी- वचनयोगी नहीं होते हैं । काययोगी होते हैं । ६७१७ प्रथम समय उत्पन्न कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय यावत् प्रथम समय उत्पन्न कल्योज कल्योज राशि एकेन्द्रिय । ( पढम-समय कडजुम्मकडजुम्म एगिंदिया ) एवं जद्देव पढमो उद्देसओ तब सोलसखुत्तो विइओ वि माणियन्बो, तहेब सव्वं । xxx -भग० श ३५ । श १ । उ २ प्रथम समय उत्पन्न कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह युग्म - काययोगी होते हैं, मनोयोगी - वचनयोगी नहीं होते हैं । ६७१८ अप्रथम समय के कृतयुग्म कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह महायुग्म एकेन्द्रिय में । Jain Education International - ( अपढम समय कडजुम्मकडजुम्मएगिदया ) एसो जहा पढमुद्देसो सोलसाह विजुम्मेसु तहेव णेयब्धो जाच कलिओग-कलिओगत्ताए जाब अत्तखुत्तो । भग० श ३५ । श १ । उ ३ अप्रथम समय के कृतयुग्म कृतयुत्रम राशि एकेन्द्रिय यावत् कल्पोज कल्पोज राशि एकेन्द्रिय में मनोयोग-वचनयोग नहीं होते हैं, काययोग होता है । *६७१६ चरम समय कृतयुग्म - कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय आदि सोलह महायुग्म में योग-( चरम समय कडजुम्मकडजुम्म एगिदिया ) एवं जहेव पढमसमय उद्देओ । -भग० श ३५ । श १ | उ ४ चरम समय कृतयुग्म - कृतयुग्म आदि सोलह महायुग्म एकेन्द्रिय में काययोग होता है । *१७°२० अचरय समय कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय में योग ( अचरमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया, जहा अपढम समय उद्देस्सो तव णिरवसेओ भाणियन्बो । - भग० श ३५ । उ ५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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