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________________ ( २५७ ) विजयाईसु उपधजताणं xxx एस तिन्नि गमगा सम्वट्ठसिद्धदेवाणं xxx ) उनके १, ४-७ गमक में तीनों योग होते है। उनकी स्थिति ज. उ. ३३ सागर की है अतः तीन गमक बनते हैं। -भग• श २४ । उ २४ । सू २३-३६ .६७ महायुग्म जीवों में योग .६७.१ कृतयुग्मकृतयुग्म राशि रूप एकेन्द्रिय में कितने योग (कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया) तेणं भंते! xxx णो मणजोगी, णो वइजोगी, कायजोगी। -भग० श ३५ । उ श १ अवान्तर । उ १ । सूह कृतयुग्मकृतयुग्म राशि रूप एकेन्द्रिय-मनोयोगी नहीं, वचनयोग नहीं, काययोगी होते है। ___ नोट-महायुग्म के १६ भेद में से पहला भेद कृतयुग्मकृतयुग्म है। जिस राशि में से चार संख्या का अपहार करते हुए चार शेष रहे और उस राशि के अपहार समय भी कृतयुग्म (चार) हो, यह राशि कृतयुग्मकृतयुग्म कहलाती है। .६७.२ कृतयुग्म न्योज राशि रूप एकेन्द्रिय में कितने योग xxx जहा कडजुम्म करजुम्माणं जाप अणंतखुत्तो। -भग० श ३५ । श १ । उ १ । सू १४ ये मनोयोगी, वचनयोगी नहीं होते, काययोगी होते हैं। •९७.३ कृतयुग्म-द्वापर युग्म राशि एकेन्द्रिय में कितने योग । (कडजुम्मदायरजुम्मएगिदिया ) सेसं तहेब जाव अणंतक्खुत्तो । -भग० श ३५ । श १ अबान्तर । सू १७ कृतयुग्म द्वापर युग्म राशि एकेन्द्रिय मनोयोगी वचनयोगी नहीं होते हैं। काययोगी होते है। यह महायुग्म का तीसरा भेद है। .९७.४ कृतयुग्म कल्पोज एकेन्द्रिय ५ न्योज कृययुग्म ६ व्योज योज ७ व्योज द्वापर युग्म ८ व्योज कल्योज ६ द्वापर युग्म कृतयुग्म १० द्वापर युग्म योज। ११ द्वापर युग्म द्वापर युग्म , १२ द्वापर युग्म कल्योज , १३ कल्योज कृत युग्म " Jain Education in pational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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