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________________ ( २५२ ) ६६.२०२ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तियंच योनि जीवों से वाणव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जो जीव है ( असंखेजवासाउय) सन्निपंचिदिय० जे भविए वाणमंतरेसु उवजित्तए xxx जहा णागकुमारसए xxx) उनके नौ गमकों में तीनों योग होते हैं। -भग० श २४ । उ २२ । सू २-४ •९६२०.३ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संशी पंचेन्द्रिय तिथंच योनि के जीवों से वाणव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में(संखेजपासाउय० तहेव, देखो पाठ १६२००२) उनके तीनों योग होते हैं। -भग० श २४ । उ २२ । सू २-४ १६.२०.४ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संशी मनुष्य से वाणव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में-- जइ मणुस्स० असंखेजावासाउयाणं तहेव नागकुमाराणं उसे तहेव वत्तष्षयाx x x सेसं तहेव Xxx ) उनके नौ गमकों में तीनों योग होते है। -भग० श २४ । उ २२ । सू ५ ४६२०५ पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी मनुष्य से वाणव्यंतर देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में (xxx (संखेजपासउयसन्निमणुस्से जहा णागकुमारसए xxx) उनके नौ गमकों में तीनों योग होते हैं । -भग• श २४ । उ २२ । सू५ "१६२१ ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में१६२११ असंख्यात वर्ष की आयुवाले संशी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक १-४ व ७-8-असंखेजवासाउय सन्निपंचिदियतिरिषखजोणिए णं भंते ! जे भविए ? जोइसिएसु उवधज्जित्तए xxx अपसेसं जहा असुर कुमारलए xxx ) उनके सातों गमकों में तीन योग होते हैं। -भग० श २४ । उ २२ । सू ३-८ १६.२१२ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तियंच योनि से ज्योतिषी देवों में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक १-8-जइ संखेजवासाउयसन्निपंचिंदय०१ संखेजबासमुयाणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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