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________________ ( १६० ) '१५-०३-०४ निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में सुहुमषाऊणं सुहुमते भंगो । - षट् खं १, १ । टीका । पृ २ | पृ० ६१२ औधिक निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं । -दो अपर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म वायुकाय में औदारिक मिश्र और कार्मणकाय --: योग होते हैं । पर्याप्त निवृत्तिपर्यंत सूक्ष्म वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है । *१५:०४ बाद वायुकाय में - षट्० खं० १, १ । टीका | २ | पृ० ६११ बादर वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं । '१५०४०१ अपर्याप्त बादर वायुकाय वाकाइयाणं तेज-भंगो । में वाडकाइयाणं तेउ-भंगो । ० खं १, १ । टीका । २ । पृ० ६११ - षट् ० अपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं । १५०४०२ पर्याप्त बादर वायुकाय में वाउकाइयाणं तेउ-भंगो । -षट् ० पर्याप्त बाद वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है । ० खं १, १ । टीका । पु २ । पृ० ६११ १५०४०३ लब्धि - अपर्याप्त बादर बायुकाय में वाकाइयाणं तेउ-भंगो । -- षट्० खं १, १ । टीका । पु२ | पृ० ६११ लब्धि अपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिक मिश्र और कार्मणकाय -- दो योग होते हैं। - १५०४०४ निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय वाकाइयाणं तेज - भंगो । Jain Education International में -षट्० खं १, औधिक निवृत्तिपर्यंत बादर वायुकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं । १ । टीका । पु २ | पृ० ६११ अपर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं । पर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर वायुकाय में एक औदारिक काययोग होता है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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