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________________ ( 26 ) भाषक की सामायिक यदि तीन करण तथा तीन योग से की जाती है तो नवकोटी सामायिक होती है। यदि दो करण तीन योग से की जाती है तो छह कोटी सामायिक होती है। यदि करने, कराने का तीन योग से, अनुमोदन की वचनसे तथा कायसे सामायिक की जाती है तो वह आठ कोटी सामायिक है।' औदयिक भाव के ३३ बोलों में एक भेद सयोगी है उसमें भाव चार औदायिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक व पारिणामिक होते है, नव तत्व में जीव, आस्रव व निर्जरा है। सावद्य-निरवद्य दोनों है। योग शाश्वत भी है, अशाश्वत भी है ( किसी अपेक्षा से ) सयोगी जीव में किसी न प्रकार का योग होता ही है लेकिन एक योग हरदम नहीं होता है। अतः बोग शाश्वत भाव भी है तथा अशाश्वत भाव भी है। कहा है तत्थ णं जे ते पमत्त संजया ते सुहं जोगं पडच्च णो अणारंमा, णो परारंभा, णो तदुभयारंभा अणारंभा। -भग श १ । १ । प्र४८ अर्थात् जब प्रमत्त संयत के शुभयोग होता है तब वह अनारम्भी होता है, अतः शुभयोग प्रवर्तते हुए अनारम्भी प्रमत्त संयत को आरम्भ का अभाव होने से प्रारम्भिकी क्रिया नहीं होती है। केवली समुद्घात की अवस्था में केवल काययोग होता है। यह समुद्घात आयुष्य के पूर्ण होने के अन्तर्मुहूर्त पूर्व होता है । कृत समुद्घात अथवा समुद्घात किये बिना सयोगी केवली जीव जव चतुर्दश गुणस्थान में प्रवेश करते हैं तब उनके अन्तमहूर्त-स्थिति-सीमित संसाररूप तथा समुच्छिन्न-क्रिया-अनिवृत्तिशुक्लध्यानरूपा अंतक्रिया होती है। शरीर, वचन एवं मन के द्वारा होने वाले आत्म-प्रयत्न को योग कहते हैं। आत्मप्रयत्न में जिन पुद्गलों की सहायता ली जाती है वह द्रव्ययोग है। आत्म-प्रयत्न भाव योग है। द्रव्ययोग अजीव है, भावयोग जीव है । मनोयोग, वचनयोग और काययोग के भेद से योग के तीन भेद है। प्रकारान्तर से योग के पन्द्रह भेद है । (१) मनोयोग-मन के द्वारा होने वाला आत्मा का प्रयत्न मनोयोग है ! मन की प्रवृत्ति के लिए जो मनोवर्गणा के पुद्गल ग्रहण किये जाते हैं-वह द्रव्वमनोयोग। उन गृहीत पुदगलों की सहायता से जो मनन होता है, वह भाव मनोयोग है ! (२) वचनयोग-भाषा के द्वारा होने वाला आत्मा का प्रयत्न वचनयोग है। वह दो प्रकार का है। कहा है १ झीणीचर्चा पृ. २४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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