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________________ ( १५४ ) यदि तीन द्रव्य प्रयोग परिणत होते हैं तो वे मनःप्रयोग परिणत होते हैं, या वचन प्रयोग परिणत होते हैं, या कायप्रयोग परिणत होते है । इस प्रकार एक संयोगी, द्विकसंयोगी और त्रिकसंयोगी भंग कहना चाहिए ! यदि तीन द्रव्य मनःप्रयोग परिणत होते हैं तो वे तीनों द्रव्य सत्य मनःप्रयोग परिणत होते हैं। अथवा यावत् असत्या मृषा मनःप्रयोग परिणत होते हैं। अथवा उनमें से एक द्रव्य सत्य मनःप्रयोग परिणत होता है और दो द्रव्य मृषा मनःप्रयोग परिणत होते हैं । इसी प्रकार यहाँ भी द्विकसंयोगी और त्रिकसंयोगी भंग कहना चाहिए । विवेचन-सत्य मनःप्रयोग परिणत आदि चार पद है, इनके असंयोगी (एक-एक ) चार भंग होते हैं हैं । द्विकसं योगी बारह भंग होते है। और त्रिक संयोगी चार भंग होते हैं। ये सभी बीस भंग होते हैं। इसी प्रकार मृषा मनः प्रयोग परिणत के भी कहना चाहिए। इसी प्रकार वचन प्रयोग परिणत व कायप्रयोग परिणत के भी कहना चाहिए। .०१२ सयोगी जीव और द्रव्य-परिणाम (चार) चत्तारि भंते ! दव्या किं पओगपरिणया xxx । जइ पोगपरिणया किं मणप्पओगपरिणया, वयप्पओगपरिणया, कायप्पओग परिणया ? एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेजा असंखेजा य दव्या भाणियव्वा दुयासंजोएणं, तियासंजोएणं, जाव दस संजोएणं, पारससंजोएणं उवजूंजिऊणं जत्थजत्तिया संजोगा-उहति ते सव्वे भाणियवा। -भग० श ८ । उ १ । प्र ६७-२८ यदि चार द्रव्य प्रयोग परिणत होते हैं तो वे सब मनःप्रयोग परिणत होते है, या वचन प्रयोग परिणत होते हैं या कायप्रयोग परिणत होते हैं। ये सब पहले की तरह कहना चाहिए। इसी क्रम द्वारा पांच, छह, सात, आठ, नव, दस, संख्यात, असंख्यात, अनंत द्रव्यों के द्विक संयोगी, त्रिक संयोगी यावत दस संयोगी, बारह संयोगी आदि सभी भंग उपयोगपूर्वक कहना चाहिए । जहाँ जितने संयोग होते हैं वहाँ उतने सभी संयोग कहना चाहिए । नोट-चार द्रव्यों के प्रयोग परिणत आदि तीन के असंयोगी तीन भंग होते हैं। और द्विक संयोगी नौ भंग होते हैं । त्रिक संयोगी तीन भंग होते हैं। इसी तरह ये सभी पन्द्रह भंग होते हैं। .०१३ द्रव्य योग को जीव ग्रहण करता है। जीवव्वाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्यमागच्छंति, अजीपदवाजीवव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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