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________________ ( 18 ) अस्त लेश्या, क्रियाकोश, मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास, वर्धमान जीवन कोश के बाद हमने संपादन के लिए 'योग' विषय को ग्रहण किया। पुद्गल कोश, ध्यान कोश, संयुक्त लेश्या कोश भी तैयार किये है। प्रत्येक विषय में संकलित पाठों तथा अनुसंधित पाठों का वर्गीकरण करने के लिए हमने प्रत्येक विषय को १०० वर्गों में विभाजित किया है तथा आवश्यकतानुसार इन सौ वर्गों को दस या दस से अधिक मूल वर्गों में भी विभाजित करने का हमारा विचार है सामान्यतः सभी विषयों के कोशों में निम्नलिखित वर्ग प्रायः अवश्य रहेंगेशब्द विवेचन ( मूल वर्ग) शब्द की व्युत्पत्ति-प्राकृत-संस्कृत तथा पाली भाषाओं में ..२ पर्यायवाची शब्द - विपरीतार्थक शब्द .०३ शब्द के विभिन्न अर्थ सविशेषण-ससमास-सप्रत्यय शब्द परिभाषा के उपयोगी पाठ ..६ प्राचीन आचार्यों द्वारा की गई परिभाषा .०७ भेद-उपभेद शब्द संबंधी साधारण विवेचन विविध ( मूल वर्ग) .०६ विषय संबंधी फूटकर पाठ तथा विवेचन अन्य सब मूलवर्ग या उपवर्ग संकलित पाठों के आधार पर बनाये जायेंगे। योग कोश में हमने निम्नलिखित मूलवर्ग रखें है - शब्द विवेचन द्रव्य योग (प्रायोगिक ) भाव योग (प्रायोगिक) योग और जीव सयोगी जीव विविध यथासंभव वर्गीकरण की सब भूमिकाओं में एकरूपता रखी जायेगी। योग कोश विषयांकन हमने ०४०५ किया है। इसका आधार यह है कि संपूर्ण जैन वाङमय को १०० भागों में विभाजित किया गया है। (देखें मूलवर्गीकरण सूची पृ० ६) इसके अनुसार जीव परिणाम का विषयांकन .०४ है। जीव परिणाम को सौ भागों में विभक्त किया गया है ( देखें जीव परिणाम वर्गीकरण सूची पृ. ६) इसके अनु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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