SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 16 ) योग कोश में लेश्या कोश- क्रिया कोश की तरह ससमास - सप्रत्यय, सविशेषण योग शब्दों की अकारादि क्रम से सूची तथा उनकी समूल पाठ परिभाषाएँ, विभिन्न योगों तथा उनके भेदों का आगमीय तथा आचार्यगण द्वारा की गई परिभाषाओं का संकलन, इसके संपादकगण की परिभाषा योग निर्माण की कल्पना की पूर्ति स्वतः होती जायेगी । जो जीव सयोगी होता है वह क्रिया सहित होता है, जो जीव अयोगी होता है वह क्रियारहित होता है । जहाँ योग है वहाँ क्रिया अवश्य है । मन, वचन तथा काययोगी की क्रियाओं से कर्मबंधन होता है । परिशेष का यही वक्तव्य है कि संपादक श्री श्रीचंदजी चोरड़िया जो कार्य किया है वह बहुत महत्वपूर्ण है । मेरा अपना व्यक्तिगत अनुरोध है कि वे इस तरह का कार्य बहुत लगन के साथ करते जायें - जिससे विद्वानगण अत्यधिक लाभान्वित हो सके । इस तरह शोधपूर्ण कोश कार्य जैन दर्शन में बहुत ही कम हुआ है। मुझे स्मरण है कि ऐसी वैज्ञानिक जैन-दशमलव पद्धति द्वारा ऐसा कार्य किया है। ग्रंथागार विद्या के अनुसार इन सब का वर्गीकरण हुआ है वह बहुत महत्वपूर्ण है और प्रवृत्ति गवेषक के लिए आदर्शमूलक ग्रंथ है। इसलिए संपादक श्री श्रीचंदजी चोरड़िया ने बहुत अच्छा कार्य किया है । मेरा ध्यान है कि विद्वान पंडित श्रीचंदजी चोरड़िया इस प्रकार के बहुत कार्य करके विद्वानों का पथ-प्रदर्शित करेंगे। मैं केवल यही कह सकता हूँ कि दुरुह और कठिन कार्य में इनकी यादगारी रहेगी । इस प्रसंग में एक श्लोक उद्धृत करके पं० श्रीचंदजी चोरड़िया एवं कोश कार्य के महत्व को व्यक्त करना चाहता हूँ । दश पंखा के अपने गंगास्तोत्र में गंगा का महत्व कहाँ निहित है इसके प्रसंग में कहा- १-१-६३ ते सुरधुनि मुनिकन्ये तारये सरसि निजपुण्यैस्तत्र किं यदि तु गतिविहिनं तारये सदिह तव महत्त्व तन्महत्त्वं मैं भी कहता हूँ दुरुह और कठिन इस कार्य से सहज और सरल करने में आपका भगीरथ प्रयत्न है । Jain Education International पुण्यवत्तम् । महत्त्वम् । पापिन मां । महत्त्वं । -- सत्यरंजन बनर्जी प्राध्यापक भाषा तत्व विज्ञान, कलकत्ता विश्वविद्यालय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy