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________________ ( ५७ ) ... टीका-xxx चाचा पापं न भणितव्यमिति xxx बाचा पाणास्मक-प्राणिघातात्मकं, न कदापि भाषितव्यं, एवममुना प्रकारेण पचनसमिति योग-युतो भावितो भवति अन्तरात्मा-जीवः। ___अन्तरात्मा को भावित करने में एक कारणभूत प्राणिघात रूप हिंसामूलक वचन से सर्वथा वर्जित रहना --वचनसमितियोग। .०१८४ वासणाजोगो (वासनायोग) ___-विशेभा० गा २६१ वासना और जीव का पारस्परिक सम्बन्ध । तयणतरं तयथाविञ्चवणं जो य वासणाजोगो। कालंतरे य ज पुणरणुसरणं धारणा सा उ॥ टीका-xxx यश्च पासनाया जीवेन सह योगः सम्बन्धः xxx। जो वासना अर्थात् प्राप्ति की अभिलाषा कालान्तर में जाकर धारणा का रूप ग्रहण कर लेती है, उसका जीव के साथ योग सम्बन्ध होना-वासनायोग । •०१८५ वीरिय-सजोग-सहब्धयाए (वीर्य-सयोग-सद्रव्य) -भग० श ाउ प्र ३७ ०१८६ विसंवादणाजोगे ( घिसंपादनायोग) -ठाण° स्था ४।उ १।सू २५४ जिस रूप में कहा जाय उस रूप में विश्वास न करना । मूल-बउबिहे मोसे पन्नत्ते तं जहा-कायअणुज्जुयया xxx विसंवादणाजोगे। टीका-अनाभोगादिना गवादिकमश्वादिकं यद्वदति कस्मैचित् किञ्चिदभ्युपगम्य वा यन्न करोति सा विसंवादणा (तया) योगः-सम्बन्धो (विसंघादनायोगः) ___अनाभोगादि के कारण किसी के पास जाकर गो, अश्व आदि कुछ कहा जाय, उसको अस्वीकार कर दिया जाय वह विसंवादना है उसके साथ योग-सम्बन्ध स्थापित करना-विसंवादना योग। विसंवादनायोग चतुर्विध मिथ्यात्व का चौथा भेद है । ०१८७ विवित्तपासषसहिसमितिजोगेण (विषिक्तपासवसतिसमितियोग) -पण्हा• अमादा ३।सू ।पृ. ६६६ एकान्तवास रूप संयम का पालन । मूल-पढम-देवकुल-सभ-प्पवा xxx विवित्तवासवसहिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा xxx दत्तागुण्णाय-ओग्गहरुई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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