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________________ अवक्कम-अवग्गह संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७७ निकलना । भागना। अवगम सक [अव + गम्] जानना । निर्णय अवक्कम सक [अव + क्रम्] जाना । करना। अवक्कमण न [अपक्रमण] अवतरण । | अवगमिअ ) वि [अवगत] ज्ञात, विदित । अवक्कय पु [अवक्रय] भाड़ा, भाटि । अवगय निश्चित, अवधारित । अवक्कय वि [अपकृत] जिसका अहित किया | अवगय वि [अपगत] गुजरा हुआ, विनष्ट । गया हो वह । अवगर सक [अप+ कृ]अपकार करना, अहित अवक्करस पु [दे] दारु। करना। अवक्करिस । पु [अपकर्ष] हानि, अपचय । अवगरिस देखो अवकरिस । अवकास अवगल वि [दे] आक्रान्त । अवगल्ल वि [अवग्लान] बीमार । अवक्कास पु [अवकर्ष] ऊपर देखो । अवगहण न [अवग्रहण] निश्चय, अवधारण । अवकास पु [अप्रकाश] अन्धकार । अवगाढ देखी ओगाढ । अवक्कोस पु [अवक्रोश] अहंकार । अवगाढु वि [अवगाहित] अवगाहन करनेअवक्ख सक [दृश्] देखना । वाला। अवक्खंद पु [अवस्कन्द] शिविर, सैन्य का अवगार पु [अपकार]अपकार, अहित-करण । पड़ाव । नगर का रिपु-संन्य द्वारा वेष्टन ।। अवगारय वि [अपकारक] अपकार-कारक । अवक्खर पु[अवस्कर] पुरीष, विष्ठा । अवगास पु [अवकाश] फुरसत । स्थान । अवक्खारण न [अपक्षारण] निर्भर्त्सना, अवस्थान। कठोर वचन । सहानुभूति का अभाव । अवगाह सक अव+गाह.] अवगाहन अवक्खेव पु [अवक्षेप विघ्न । करना। अवक्खेवण न [अवक्षेपण] बाधा, अन्तराय । अवगाह पुं [अवगाह] अवगाहन । अवकाश । क्रिया-विशेष, नीचे जाना। अवखेर सक [दे] खिन्न करना । तिरस्कार अवगाहणा देखो ओगाहणा। अवगिचण न [दे. अववेचन] पृथक्करण । करना। अवग पुन [दे. अवक] जल में होने वाली अवगिज्झ देखो ओगिज्झ। वनस्पति-विशेष । अवीय वि [अवगीत] निन्दित । अवगइ स्त्री [अपगति] खराब गति । गोपनीय अवगुंठण देखो अवउंठण । स्थान । अवगुठिय वि [अवगुण्ठित] आच्छादित । अवगंड न [अवगण्ड] सुवर्ण। पानी का | अवगुण पुं [अवगुण] दुर्गुण, दोष । अवगुण सक [अव + गुणय्] उद्घाटन करना। अवगच्छ सक [अप + गम्] जानना। अवगूढ वि [अवगूढ] आलिंगित । व्याप्त । अवगच्छ अक [अप + गम्] दूर होना, निकल अवगूढ न [दे] व्यलोक, अपराध । जाना। अवगृहण न [अवगृहन] आलिंगन । अवगण । सक [अव+गणय्] अनादर अवगृहाविय वि [अवगूहित] आश्लेषित । अवगण , करना। अवग्ग वि [अव्यक्त] अस्पष्ट । पुं. अगीतार्थ, अवगद वि [दे] विस्तीर्ण, विशाल । शास्त्रानभिज्ञ साधु । अवगम पुं [अपगम] अपसरण । विनाश । अवग्गह देखो उग्गह। फेन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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