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________________ ७६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अवउंठण-अवक्कम अवउंठण न [अवगुण्ठन] ढकना । मुंह , अवंदिम वि [अवन्ध] प्रणाम के अयोग्य । ढकने का वस्त्र, चूंघट । अवकंख सक [अव + काङ्क्ष] चाहना । अवऊढ वि [अवगूढ] आलिंगित । देखना। अवऊसण न [अपवसन] तपश्चर्या-विशेष। अवकत देखो अवक्कंत। अवऊसण न [अपजोषण] ऊपर देखो। अवकप्प सक [अव + कल्पय] कल्पना करना, अवऊहण न [अवगृहन] आलिङ्गन । __ मान लेना। अवएड पुं [अवएज] तापिका-हस्त, पात्र- अवकय वि [अपकृत] जिसका अपकार किया विशेष । गया हो वह । अपकार, अहित । अवएस पुं [अपदेश] बहाना, छल । | अवकर सक [अप + कृ] अहित करना । अवओडग न [अवकोटक] गले को मरोड़ना, अवकरिस पु [अपकर्ष] ह्रास, हानि ।' कृकाटिका को नीचे ले जाना । बंधण न अवकलुसिय वि [अपकलुषित] मलिन । [°बन्धन] हाथ और सिर को पृष्ठ भाग से | अवकस सक [अव + कृष्] त्याग करना । बाँधना । वि. रस्सी से गला और हाथ को अवकारि वि [अपकारिन्] अहित करने मोड़कर पृष्ट भाग के साथ जिसको बांधा जाय वाला। वह। अवकिण्ण वि [अवकीर्ण] परित्यक्त । अवंग पुं [अपाङ्ग] नेत्र का प्रान्त भाग । अवकिण्णग । पु [अपकीर्णक] करकण्डू अवंग पुं [दे] कटाक्ष । अवकिण्णय ) नामक एक जैन महर्षि का अवंगु । वि [दे. अपावृत] नहीं ढका पूर्व नाम । अवंगुय । हुआ। अवकित्ति स्त्री [अपकीत्ति] अपयश । अवंगुण सक [दे] खोलना । अवकिदि स्त्री [अपकृत्ति] अपकार, अहित । अवंचिअ वि [अवाञ्चित] अधोमुख, अवाङ् अवकीरण न [अवकरण] त्याग, उत्सर्ग । मुख । अवकीरिअ वि [दे. अवकीर्ण] विरहित । अवंझ वि [अवन्ध्य] सफर, अचूक । "पवाय अवकीरियव्व वि [अवकरितव्य] त्याज्य । न [प्रवाद] ग्यारहवाँ पूर्व, जैन ग्रन्थांश- अवकूजिय न [अवकूजित] हाथ को ऊँचाविशेष । नीचा करना। अवंतर वि [अवान्तर] भीतरी। अवकेसि पु[अवकेशिन्] फल-वन्ध्य वनअवंति पुं. भगवान् आदिनाथ का एक पुत्र ।। स्पति । अवंति । स्त्री. मालव देश । मालव देश की | । अवकोडक देखो अवओडग । अवंती ) राजधानी, जो आजकल राजपूताना अवक्त्रंत वि [अपक्रान्त] पीछे हटा हुआ, में 'उज्जैन' नाम से प्रसिद्ध है। गंगा स्त्री वापस लौटा हुआ । निकृष्ट । [°गङ्गा] आजीविक मत में प्रसिद्ध काल- अवक्कंत पु [अवक्रान्त] प्रथम नरक भूमि का विशेष । °वड्ढण पुं [°वधन] इस नाम का ग्यारहवाँ नरकेन्द्रक--नरक-स्थान विशेष । एक राजा। "सुकुमाल पुं. एक श्रेष्ठि-पुत्र, अवक्कंति स्त्री [अपक्रान्ति] अपसरण । निर्गजो आर्यसुहस्ति आचार्य के पास दीक्षा लेकर | देव-लोक के नलिनीगुल्म विमान में उत्पन्न | अवक्कंति स्त्री [अवक्रान्ति] गमन । हुआ है । 'सेण पुं[°षेण एक राजा । अवक्कम अक [अप + क्रम्] पीछे हटना । बाहर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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