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________________ अरुय-अलमल संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७३ अख्य वि [अरुज्] निरोगी। [°सभा] भूषा-गह। . अरुह देखो अरह = अर्हत् । अलंकारिय पुं[अलंकारिक] हजाम । °कम्म अरुह वि. जन्मरहित । पुं. मुक्त आत्मा । जिन- न [°कर्मन्] हजामत । °सहा स्त्री [°सभा] देव । हजामत बनाने का स्थान । अरुह देखो अरिह = अर्ह, । अलंकिय वि [अलंकृत] विभूषित, सुशोभित । अरुह वि [अहं] योग्य । न. संगीत का एक गुण । अरुहंत देखो अरहंत = अर्हत् । अलंकुण देखो अलंकर । अरूव वि [अरूप] रूपरहित, अमूर्त । अलंघ वि [अलध्य] उल्लंघन करने के अरे अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय-संभाषण अयोग्य । उल्लंघन करने के अशक्य । और रतिकलह । आक्षेप । विस्मय । परिहास । अलंप पुं [दे] कुक्कुट, मुर्गा । अरोअ अक [उत् + लस्] उल्लास पाना, अलंबुसा स्त्री [अलम्बुषा] एक दिक्कुमारी विकसित होना। देवी का नाम । गुल्म-विशेष । अरोअअ पुं [अरोचक] रोग-विशेष, अन्न की अलंभि स्त्री [अलाभ] अप्राप्ति । अरुचि । अलका स्त्री. नगरी-विशेष, पहले प्रतिवासुदेव अरोइ वि [अरोचिन्] अरुचि वाला, रुचि की राजधानी । देखो अलया। रहित । अलक्ख पुं [अलक्ष] इस नाम का एक राजा, अरोग वि. रोगरहित । °या स्त्री [°ता] जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा लेकर आरोग्य, नीरोगता। मुक्ति पाई थी। न. 'अंतगडदसा' सूत्र के एक अरोग्ग , देखो आरोय = आरोग्य । अध्ययन का नाम । अरोय । अलक्खमाण वि [अलक्ष्यमाण] जो पहिचाना अरोस वि [अरोष] गुस्सा-रहित । पु. एक | न जा सकता हो, गुप्त । म्लेच्छ देश और उसमें रहनेवाली म्लेच्छ अलग देखो अलय = अलक । जाति । अलगा देखो अलया। अल न. बिच्छू के पुच्छ का अग्र भाग । अलग्ग न [दे] कलंक देना, दोष का झूठा अलादेवी का एक सिंहासन । वि. समर्थ ।। आरोप । °पट्ट न. बिच्छू की पूंछ जैसे आकारवाला एक अलचपुर न [अचलपुर नगर-विशेष । शस्त्रा अलज्ज वि. बेशरम । °अल देखो तल। अलट्टपल्लट्ट न [दे] पार्श्व का परिवर्तन । अलं अ. [अलम्] पर्याप्त, पूर्ण । प्रतिषेध, अलत्त पुं [अलक्त] आलता । निवारण, बस । अलङ्कार । अलत्तय पुं [अलक्तक] ऊपर देखो। वि. अलंकर सक [अलं+कृ] भूषित करना। आलता से रंगा हुआ। अलंकरण न [अलङ्करण] अलंकार । वि. अलधोय देखो कलधोय । शोभाकारक। अलमंजुल वि [दे] आलसी, सुस्त । अलंकार पुं [अलङ्कार] साहित्यशास्त्र । अलमंथु वि [अलमस्तु] समर्थ । निषेधक, पुन. एक देवविमान । निवारक । अलंकार पुं. गहना । शोभा । °सहा स्त्री ' अलमल पुं [दे] दुर्दान्त बैल । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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