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________________ ६८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अमरिसिय-अमूढ अमरिसिय वि [अमर्षित] मत्सरी, अस-, नाम । °णाणि वि [ ज्ञानिन्] सर्वज्ञ । हिष्णु । ऐरवत क्षेत्र के एक जिनदेव का नाम । °तेय अमरीस पुं[अमरेश] इन्द्र । पुं. [ तेजस्] एक जैन मुनि का नाम । °बल अमल वि. स्वच्छ । पुं. भगवान् ऋषभदेव के पुं. इक्ष्वाकु वंश के एक राजा का नाम । एक पुत्र का नाम । °वाहण पुं [°वाहन] दिक्कुमार देवों के अमला स्त्री. शक्र की एक अग्रमहिषी का | एक इन्द्र का नाम । वेग पं. राक्षस वंश के नाम । एक राजा का नाम । सिणिय वि अमवस्सा देखो अमावस्सा । [°Tसनिक चंचल । अमाइ । वि [अमायिन्] निष्कपट । अमिल न [दे] ऊन का बना हुआ वस्त्र । अमाइल्ल पुं. मेष, भेड़ । अमाघाय देखो अमग्घाय । अमिल वि [दे. आमिल] अमिल देश में बना अमाण वि [अमान] गर्वरहित । असंख्य । हुआ। अमाय वि [अमात] नहीं समाया हुआ। अमिला स्त्री. बीसवें जिनदेव की प्रथम शिष्या । अमाय वि. निष्कपट । पाड़ी, छोटी भैस । अमारि स्त्री. हिंसा-निवारण। जीवितदान । अमिलाण । वि [अम्लान] म्लान-रहित, घोस पुं [°घोष] अहिंसा की घोषणा। अमिलाय ' ताजा, हृष्ट । पुं. कुरण्टक वृक्ष । °पडह पुं [°पटह] हिंसा-निषेध का डिण्डिम। कुरण्टक वृक्ष का पुष्प ।। अमावसा । स्त्री [अमावास्या] तिथि अमु स [अदस्] वह, अमुक । अमावस्सा विशेष, अमावन । अमुअ स [अमुक वह, कोई । अमावासा अमुअ देखो अमय = अमृत । अमिज्ज वि [अमेय] माप करने के लिए | अमुअ वि[अस्मृत]स्मरण में नहीं आया हुआ । अमुइ वि अमोचिन्] नहीं छोड़नेवाला । अशक्य, असंख्य । अमुग देखो अमुअ = अमुक । अमिज्झ न [अमेध्य] अशुनि वस्तु । विष्ठा । अमुगत्थ वि [अमुत्र] अमुक स्थान में । अमित्त पुंन [अमित्र] रिपु, दुश्मन । अमुण वि [अज्ञ] अजान, मूर्ख । अमिय देखो अमय = अमृत । °कुंड न | अमुणिय वि [अज्ञान] मर्ख, अजान । [°कुण्ड] नगर-विशेष का नाम । °गइ स्त्री अमुदग्ग ) न [अमुदन] अतीन्द्रिय मिथ्या[गति] एक छन्द का नाम । °णाणि पुं अमुयग्ग ) ज्ञान विशेष, जैसे देवताओं [°ज्ञानिन्] ऐरवत क्षेत्र के एक तीर्थकर देव | के पुद्गलरहित शरीर को देखकर जीव का का नाम । भूय वि [भूत] अमृत-तुत्य । शरीर पुद्गल से निर्मित नहीं है ऐसा निर्णय । मेह पुं [ मेघ] अमृतवर्षा । "रुइ पुं| अमुस वि [अमृष] सत्य । [°रुचि] चन्द्रमा। अमुह वि [अमुख] निरुत्तर । अमिय वि [अमित] परिमाण-रहित, असंख्य, अमुहरि वि [अमुखरिन्] अवाचाल, भितअनन्त । °गइ पुंगति] दक्षिण दिशा के | भाषी। एक इन्द्र का नाम, दिक्कुमारों का इन्द्र । अमूढ वि. अमुग्ध, विचक्षण । °णाण न °जस पुं [°यशस्] एक चक्रवर्ती राजा का ! [ज्ञान] सत्य-ज्ञान । दिट्ठि स्त्री [दृष्टि] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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