SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६ अभिविहि पुंस्त्री [अभिविधि ] मर्यादा, व्याप्ति । अभिवुट्ठि स्त्री [ अभिवृष्टि ] वृष्टि, वर्षा । अभिgs देखो अभिवड्ढ । अभिवुढि स्त्री [अभिवृद्धि] वृद्धि, बढ़ाव | उत्तरभाद्रपद नक्षत्र का अधिष्ठाता देव । अभिवुढे देखो अभिवड्ढे । अभिवेदना स्त्री [अभिवेदना ] अत्यन्त पीड़ा । अभिव्वंजण न [ अभिव्यञ्जन] देखो अभि वत्ति । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अभिव्वाहार देखो अभिवाहार । अभिसंकण न [ अभिशङ्कन] शंका, वहम | अभिका स्त्री [अभिशङ्का ] संशय, संदेह | अभिसंकि वि [अभिशङ्किन् ! संदेह करनेवाला | भीरु, डरनेवाला | अभिसंग पुं [अभिष्वङ्ग ] आसक्ति । अभिसंजाय वि [अभिसंजात] उत्पन्न । अभिसंण क [ अभिसं + स्तु ] स्तुति करना, वर्णन करना । अभिसंधारण न [अभिसंधारण ] पर्यालोचन, विचारना । अभिसंधि पुंस्त्री [अभिसंधि] आशय, अभि प्राय अभिसंधिय वि [अभिसंहित] गृहीत, उपात्त । अभिसंभूय वि [अभिसंभूत ] उत्पन्न, प्रादुर्भूत । अभिसंबुद्ध वि [अभिसंबुद्ध ] ज्ञान-प्राप्त, बोध प्राप्त । अभिसंवुड्ढ वि [अभिसंवृद्ध ] बढ़ा हुआ, उन्नत अवस्था को प्राप्त । अभिसमण्णा वि [अभिसमन्वागत ] अच्छी तरह जाना हुआ, सुनिर्णीत । व्यवस्थित । प्राप्त, लब्ध । अभिसमागम सक [अभिसमा + गम् ] सामने जाना । प्राप्त करना । निर्णय करना, ठीकठीक जानना । अभिसमे सक [ अभिसमा + इ] देखो अभिसमागम = अभिसमा + गम् । Jain Education International अभिविहि-अभीजि अभिसर सक [ अभि + सृ ] प्रिय के पास जाना । अभिसव पुं [ अभिषव ] मद्य आदि का अर्क । मद्य-मांस आदि से मिश्रित चीज । अभिसारिआ देखो अहिसारिआ । अभिसिच सक [ अभि + सिच्] अभिषेक करना । अभिसित वि [ अभिषिक्त ] जिसका अभिषेक किया गया हो वह । अभिसेअ । पुं [अभिषेक ] राजा, आचार्य अभिसेग आदि पद पर आरूढ़ करना । स्नान-महोत्सव | स्नान । जहाँ पर अभिषेक किया जाता है वह स्थान । शुक्र शोणित का संयोग । वि. आचार्य आदि पद के योग्य अभिषिक्त । अभिसेगा स्त्री [अभिषेका] संन्यासिनी । साध्वियों की मुखिया, प्रवत्तनी । अभिसेज्जा स्त्री [अभिशय्या ] देखो अभिणिसज्जा । भिन्न स्थान । अभिसेवण न [ अभिषेवण]पूजा, सेवा, भक्ति । अभिसेवि वि [अभिषेविन् ] सेवा कर्ता । अभिस्संग पुं [अभिष्वङ्ग ] आसक्ति । अभिहट्टु अ [अभिहृत्य ] जबरदस्ती करके । अभिहड वि [ अभिहृत ] सामने लाया हुआ । जैन साधुओं की भिक्षा का एक दोष । अभिहण क [ अभि + हन्] मारना, हिंसा करना । अभिवि [अभिहत] मारा हुआ, आहत । अभिहा स्त्री [अभिधा ] नाम | " अभिहाण न [ अभिधान ] नाम । वाचक शब्द । कथन, उक्ति । उच्चारण । कोशग्रन्थ | अभिहिय वि [ अभिहित ] कथित । अभिहेअ वि [ अभिधेय ] वाच्य, पदार्थ । अभीइ स्त्री [अभिजित् ] नक्षत्र विशेष । अभीजि । पुं. एक राजकुमार । राजा श्रेणिक का एक पुत्र, जिसने जैन दीक्षा ली थी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy