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________________ अभिभव-अभिवाहार अभिभवक [ अभि + भू] पराभव करना, परास्त करना । अभिभास सक [ अभि + भाष्] संभाषण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष करना । afras स्त्री [अभिभूति] पराभव, अभिभव । अभिभूय वि [ अभिभूत ] पराभूत, पराजित । अभिमंत सक [ अभि + मन्त्रय् ] करना, मन्त्र से संस्कारना । मंत्रित अभिमन्न सक [ अभि + मन्] करना । अभिलप्प वि [ अभिलाप्य ] कथन योग्य, निर्वचनीय | अभिलस सक [ अभि + लष् ] चाहना । अभिलाअ ) [ अभिलाप ] शब्द, ध्वनि । अभिलाव संभाषण । अभिमान अभिलास पुं [अभिलाष ] इच्छा, चाह । अभिलासुगवि [अभिलाषुक ] अभिलाषी । अभिलोयण न [ अभिलोकन ] जहाँ खड़े रह कर दूर की चीज देखी जाय वह स्थान । अभिलोयण न [ अभिलोचन ] ऊपर देखो । अभिवंद सक [अभि + वन्द् ] नमस्कार करना, करना । सम्मत करना | अभिमय वि [ अभिमत ] इष्ट, अभिप्रेत । अभिमाण पुं [अभिमान] अभिमान, गर्व । अभिमार पुं [अभिमार ] वृक्ष - विशेष | अभिह वि[अभिमुख ] संमुख, सामने स्थित । अभियागम [ अभ्यागम] संमुख आगमन | अभियावन्न वि [अभ्यापन्न ] संमुख प्राप्त । अभिरइ स्त्री [अभिरति ] रति, संभोग । प्रणाम करना । अभिवंद वि[अभिवन्दक ] प्रणाम करनेवाला । अभिवड्ढ अक [ अभि + वृध् ] बढ़ना, बड़ा होना, उन्नत होना । अभिवढि देखो अभिवुढि । अभिवढि देखो अहिवड्ढि ( इक ) । अभिवदिवि [अभिवर्धित ] बढ़ाया हुआ । अधिक मास | अधिक मासवाला वर्ष । अभिवड्ढे क [ अभि + वर्धय् ] बढ़ाना । अभिवत्त वि [ अभिव्यक्त ] आविर्भूत । अभवत् स्त्री [अभिव्यक्ति ] प्रादुर्भाव | अभिवय क [ अभि + व्रज् ] सामने जाना । अभिवात पुं [ अभिवात ] सामने का पवन । सामने का पवन । प्रतिकूल ( गरम या रूक्ष ) पवन । अभिवाद ) सक [ अभि + वादय् ] प्रणाम अभिवाय करना । नमस्कार करना । अभिवाय देखो अभिवात । अभिरुह क [ अभि + रुह् ] रोकना । ऊपर अभिवाहरण न [ अभिव्याहरण] बुलाहट, चढ़ना, आरोहना । पुकार । अभिरोहिय वि [अभिरोधित] चारों ओर से अभिवाहार पुं [ अभिव्याहार] प्रश्नोत्तर, निरुद्ध, रोका हुआ । सवाल-जवाब | प्रीति, अनुराग । अभिरम अ [ अभि + रम् ] क्रीड़ा करना, संभोग करना । प्रीति करना । तल्लीन होना, आसक्ति करना । अभिरय वि [अभिरत] अनुरक्त । तल्लीन, ६५ अभिरोहिय वि [ अभिरोहित ] ऊपर देखो । अभिव सक [अभि + लङ्घ् ] उल्लंघन तत्पर । अभिराम वि [अभिराम ] सुन्दर, मनोहर । अभिराम सक [ अभि + रामय् ] तत्परता से कार्य में लगाना । Jain Education International अभिरुइय वि [अभिरुचित] पसंद, मन का अभिमत । अभिरुय सक [ अभि + रुच्] पसंद पड़ना, रुचना । [अभिरूपिन् ] सुन्दर रूप अभिख्यंसि वाला, मनोहर । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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