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________________ ८०२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष संसेसिय-सक्कार संसेसिय वि [संश्लेषिक] संश्लेषवाला। सक्क अक [ शक् ] सकना, समर्थ होना। संसोधण न [संशोधन] शुद्धि-करण, जुलाब । सक्क अक [ सूप् ] जाना, गति करना। संसोधित वि [संशोधित] सुशुद्ध किया हुआ । | सक्क अक [ष्वक् ] गति करना, जाना। संसोय सक [ सं+शोचय ] शोक करना । सक्क न [शल्क] छाल । संसोहण न. देखो संसोधण । सक्क वि [शक्त] समर्थ, शक्ति-युक्त । संसोहा स्त्री [संशोभा] शोभा। सक्क पुं [शक्र] सौधर्म नामक प्रथम देवलोक संसोहि वि [ संशोभिन् ] शोभनेवाला । का इन्द्र । कोई भी देवेन्द्र । एक विद्याधरसंसोहिय देखो संसोधित। राजा। छन्द-विशेष । गुरु पुं. बृहस्पति । संह देखो संघ, संध। प्पभ पुं [प्रभ] शक्र का एक उत्पातसंहडण देखो संघयण । पर्वत । °सार न. एक विद्याधर-नगर । संहदि स्त्री [संहति] संहार । °वदार (शौ) न [°ावतार] तीर्थ-विशेष । संहय वि [संहत] मिला हुआ । वयार न [°ावतार] चैत्य-विशेष । संहर सक [सं+ह] अपहरण करना । विनाश | सक्क पुं [शाक्य] बुद्ध देव । वि. बौद्ध । करना। मारना, संवरण करना, संकेलना। सक्क (अप) देखो सग = स्वक । ले जाना। सक्कंदण पुं [संक्रन्दन] इन्द्र । संहर पुं [संभार] समुदाय । संघात । सक्कणो (शौ) देखो सकुण । संहार देखो संभार = सं+ भारय । सक्कय देखो स-क्कय = सस्कृत । संहार देखो संघार । सक्कय वि [संस्कृत] संस्कार-युक्त । स्त्रीन. संहारण न [संधारण] धारण, टिकाना। संस्कृत भाषा। संहाव देखो संभाव = सं + भावय । सक्कर न [शर्कर] खण्ड, टुकड़ा। संहिच्च अ [संहत्य] साथ में मिलकर । सक्कर देखो सक्करा। पुढवी स्त्री संहिदि देखो संहदि। [पृथिवी] । °प्पभा स्त्री [ प्रभा] दूसरी संहिया स्त्री [संहिता] चिकित्सा आधि | नरक-भूमि । शास्त्र । अस्खलित रूप से सूत्र का उच्चारण । सक्करा स्त्री [शर्करा] चीनी । उपलखण्ड । संहुदि स्त्री [संभृति] अच्छी तरह पोषण ।। कंकड़ । बालु । °भ न. गोतम गोत्र की एक सक देखो सग = शक । शाखा । पुंस्त्री. उस में उत्पन्न । °भा स्त्री. सकण्ण वि [सकर्ण] विद्वान्, जानकार । दूसरी नरक-पृथिवी। सकथन. तापसों का एक उपकरण । सक्कार [ [सत्कार] सम्मान, आदर, पूजा । सकधा देखो सकहा। सक्कार पुं [संस्कार] गुणान्तर का आधान । सकयं अ [ सकृत् ] एक बार । स्मृति का कारण-भूत एक गुण । वेग । सकल देखो सयल - सकल । शास्त्राभ्यास से उत्पन्न होती व्युत्पत्ति । गुणसकहा स्त्री [ सक्थिन् ] अस्थि, हाड़। विशेष, स्थिति-स्थापन । व्याकरण के अनुसार सकाम देखो स-काम- सकाम । शब्द-सिद्धि का प्रकार । गर्भाधान आदि के सकुंत [शकुन्त] पक्षी। समय की जाती धार्मिक क्रिया। पाक, सकुण देखो सक्क = शक् । पकाना। सकेय देखो स-केय = सकेत । सक्कार सक [ सत्कारय् ] सम्मान करना । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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