SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 817
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७९८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष संमज्जग-संलोणया संमज्जग पुं [संमज्जक] वानप्रस्थ तापसों की संमूढ वि. जड़, विमूढ । एक जाति । संमेअ पुं [संमेत] आजकल का 'पारसनाथ संमज्जणी स्त्री [संमार्जनी] झाड़। पहाड़' । राम का एक सुभट । संमट्ठ वि [संमृष्ट] प्रमाजित । पूर्ण भरा हुआ। संमेल पुं. परिजन या मित्रों का जिमनवार । संमडु पुं [संमर्द] युद्ध । परस्पर संघर्ष । संमोह पुं. मूढता, मोह । मूर्छा । दुःख, कष्ट । संमद्द सक [सं+मृद्] मर्दना करना। संनिपात रोग। संमद्द देखो संमड्ड। संमोह न [सांमोह] मिथ्यात्व का एक भेदसंमद्दा स्त्री [संमर्दा] प्रत्युपेक्षणा-विशेष, वस्त्र रागी को देव, संगी-परिग्रही को गुरु और के कोनों को मध्य भाग में रखकर अथवा | हिंसा को धर्म मानना । वि. संमोह-संबन्धी । उपधि पर बैठकर जो प्रत्यपेक्षणा-निरीक्षण | संमोहा स्त्री. छन्द-विशेष । की जाय वह । संरंभ पुं[संरम्भ] हिंसा करने का संकल्प । संमय वि [संमत] अनुमत । अभीष्ट । आटोप । उद्यम । क्रोध ।। संमविय वि [संमापित] नापा हुआ । संरक्खग वि [संरक्षक] सुरक्षा करनेवाला । संमा अक [सं+ मा] समाना, अटना । संरक्खण न [संरक्षण] समीचीन रक्षण । संमाण सक [सं + मानय] आदर करना, संरक्खय देखो संरक्खग। गौरव करना । संरद्ध सक [सं+राध्] पकाना । संमिद (शौ) वि [संमित] तुल्य । समान संरुंध सक [सं + रुध्] रोकना । परिमाणवाला। संरोह पुं [संरोध] अटकाव । संमिल अक [सं + मिल] मिलना। संरोहणी स्त्री [संरोहणी] घाव को रुझानेसंमिल्ल अक [सं + मील] सकुचाना । संकोच वाली औषधि-विशेष । संलक्ख सक [सं + लक्षय] पहिचानना । करना। संमिस्स वि [संमिश्र] मिला हुआ, युक्त । संलग्ग वि [संलग्न] लगा हुआ । संयुक्त । उखड़ी हुई छालवाला। संलत्त वि [संलपित] संभाषित, उक्त। कथित । संमील देखो संमिल्ल। संलप्प । सक [सं + लप्] वार्तालाप या संमीस देखो संमिस्स। संलव । संभाषण करना । संमुइ पुं [संमुचि भारतवर्ष में भविष्य में | संलाव सक [सं+लापय] बातचीत करना । | संलाविअ वि [संलापित] उक्त। कहलवाया होनेवाला एक कुलकर पुरुष । संमुच्छ अक [सं + मूर्च्छ] स्त्री-पुरुष के हुआ। संयोग के बिना ही यूकादि की तरह जीवों संलिद्ध वि [संश्लिष्ट] संयुक्त । का उत्पन्न होना। | संलिह सक [सं + लिख] निर्लेप करना। समुच्छिम वि [संमूच्छिम] स्त्री-पुरुष के तप से शरीर आदि का शोषण करना । समागम के बिना उत्पन्न होनेवाला प्राणी। घिसना । रेखा करना। संमुज्झ अक [सं + मुह] मोह करना, मुग्ध | संलोढ वि. संलेखना-युक्त। होना। संलीण वि [संलीन] इन्द्रिय तथा कषाय आदि संमुस सक [सं + मृश्] पूर्ण स्पर्श करना। को काब में किया हो वह, संवृत । संमुह वि [संमुख] सामने आया हुआ । संलीणया स्त्री [संलीनता] तप-विशेष, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy