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________________ संडेव-संतइ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७८९ संडेव पुं [दे] पानी में पैर रखने के लिए रखा | गोत्र की शाखा । पुंस्त्री. उस गोत्रमें उत्पन्न । जाता पाषाण आदि । संणिक्खित्त देखो संनिक्खित्त । संडेवय (अप) देखो संडेय। संणिगास देखो संणियास । संडोलिअ वि [दे] अनुगत, अनुयात । संणिगास देखो संनिगास = संनिकर्ष । संढ पुं षण्ढ] नपुंसक । संणिचय देखो संनिचय । संढो स्त्री [दे] साढ़नी, ऊंटनी । संणिचिय देखो संनिचिय । संढोइय वि [संढीकित] उपस्थापित । संणिज्झ देखो संनिज्झ। संण वि [संज्ञ] जानकार । संणिणाय देखो संनिनाय । संणक्खर देखो संनक्खर । संणिधाइ देखो संणिहाइ । संणज्ज न [सांनाय्य] मन्त्र आदि से संस्कारा संणिधाण देखो संनिहाण । जाता घी वगैरह । संणिपडिअ वि [संनिपतित] गिरा हुआ। संणज्झ अक [ सं+ नह ] कवच धारण संणिभ देखो संनिभ। करना । अक. तैयार होना। संणिय वि [संज्ञित] जिसको इशारा किया संणडिअ वि [संनटित] व्याकुल किया हुआ, | गया हो वह। विडम्बित । संणियास पुं[संनिकाश] देखो संनियास । संणद्ध वि [संनद्ध] संनाह-युक्त, कवचित । संणिरुद्ध वि [संनिरुद्ध] रुका हुआ । संणय देखो संनय । नियन्त्रित । संणवणा स्त्री. [संज्ञापना] संज्ञप्ति, विज्ञापन । संणिरोह पुं [संनिरोध] रुकावट । संणा स्त्री. [संज्ञा] आहार आदि का अभिलाष । संणिवय अक [संनि + पत्] पड़ना । मति । संकेत । आख्या, नाम । सूर्य की संणिवाय पुं [संनिपात] सम्बन्ध । संयोग । पत्नी। गायत्री। विष्ठा, पुरोष । सम्यग् संणिविट्ठ देखो संनिविट्ठ। दर्शन । सम्यग् ज्ञान । °इअ वि [कृत] संणिवेस देखो संनिवेस। फरागत गया हुआ । भूमि स्त्री. पुरीषोत्सर्जन संणिसिज्जा । देखो संनिसिज्जा। की जगह । संणिसेज्जा संणामिय वि [संनामित] अवनत-कृत। संणिह देखो संनिह । संणाय बि [संज्ञात] ज्ञात, नात का आदमो । | संणिहाइ वि संनिधायिन] समीप-स्थायी। स्वजन, सगा । पहिचाना हुआ। संणिहाण देखो संनिहाण । संणास पुं [संन्यास] संसार-त्याग, चतुर्थ | संणिहि देखो संनिहि। आश्रम । संणिहिअ वि [संनिहित] सहायता के लिए संणाह सक [सं+नाहय्] युद्ध-सज्ज करना । समीप-स्थित, निकट-वर्ती । पुं. अणपनि देवों संणाह पुं[संनाह] युद्ध की तैयारी । कवच । के दक्षिण दिशा का इन्द्र । ° पट्टपुं. शरीर पर बाँधने का वस्त्र-विशेष । संणेज्झ देखो संनेज्झ। संणाहिय वि [सांनाहिक] युद्ध की तैयारी से संत देखो स = सत् । सम्बन्ध रखनेवाला। संत वि [शान्त] क्रोध-रहित । पुं. रस-विशेष । संणि वि [संज्ञिन्] संज्ञावाला। मनवाला | संत वि [श्रान्त थका हुआ। प्राणी । श्रावक । सम्यक्त्वी, जैन । न. वासिष्ठ | संतइ स्त्री [संतति] संतान, अपत्य । अवि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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