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________________ वेम-वेलुक संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७७३ वेम [वेमन्] तन्तुवाय का एक उपकरण। वैडूर्य रत्नवाला । °मय वि [°मय] वैडूर्य वेमणस्स न [वैमनस्य] भीतरी द्वेष, दीनता। रत्नों का बना हुआ। वेमय सक [भञ्ज ] भांगना, तोड़ना। वेरोयण देखो वइरोअण = वैरोचन । वेमाउअ ) वि [वैमातृक] विमाता की वेल न [दे] दाँत के मूल का मांस । वेमाउग । संतान । वेलंधर पुं [वेलन्धर] एक देव-जाति, नागवेमाणि पुंस्त्री [विमानिन्] विमान-वासी राज-विशेष । पर्वत-विशेष । न. नगर-विशेष । देवता, उत्तम देव-जाति । °णिणी। । वेलंधर पुं [वैलन्धर] वेलन्धर-सम्बन्धी । वेमाणिअ पुं [वैमानिक] एक उत्तम देव- वेलंब पुं [वेलम्ब] वायुकुमार नामक देवों के जाति, विमानवासी देवता । दक्षिण दिशा का इन्द्र । पाताल-कलश का वेमाया स्त्री [विमात्रा] अनियत परिमाण ।। अधिष्ठाता देव-विशेष । वेम्मि क्रि [वच्मि] मैं कहता हूँ। वेलंब ' [दे. विडम्ब] विडम्बना । वि. विडवेयंड पुं [वेतण्ड] हस्ती । देखो वेंड। म्बना-कारक। वेयावच्च । न [वैयावृत्त्य, वैयापत्य] | वेलंबग पुं [विडम्बक्र] विदूषक । वि. विडवेयावडिय । सेवा, शुश्रूषा । म्बना करनेवाला। वेर न [वैर] शत्रुता । वेलक्ख न [वेलक्ष्य] लज्जा। वेर न [द्वार] दरवाजा। वेलणय न [दे. वीडनक] लज्जा । पुं. लज्जावेरग्ग न [वैराग्य] विरागता, उदासीनता । | जनक वस्तु के दर्शन आदि से उत्पन्न होनेवेरग्गिअ वि [वैराग्यिक] वैराग्य-युक्त ।। वाला एक रस। वेरन्ज न [वैराज्य] वैरि-राज्य । राजा वेलव सक [उपा+लभ् ] उपालम्भ देना। विद्यमान न हो वह राज्य । प्रधान आदि कंपाना । व्याकुल करना । व्यावृत्त करना । राजा से रिक्त रहते हों वह राज्य । वेलव सक [वश्च ] ठगना । पीड़ा करना । वेरत्तिय वि [वैरात्रिक रात्रि के तृतीय पहर वेला स्त्री. [दे] दाँत के मूल का मांस । का समय। वेला स्त्री. समय । ज्वार, समुद्र के पानी वेरमण न [विरमण] विराम, निवृत्ति । की वृद्धि । समुद्र का किनारा । मर्यादा । वार । वेराड पुं [वैराट] अलवर तथा उसके 'उल न [°कुल] जहाजों के ठहरने का चारों ओर का प्रदेश । स्थान । °वासि पुं [°वासिन्] समुद्र-तट के वेराय (अप) पुं [विराग] वैराग्य, उदा समीप रहनेवाला वानप्रस्थ । सीनता। वेलाइअ वि [दे] मृदु । गरीब । वेरि । देखो वइरि। वेलाव ( अप ) सक [वि + लम्बय ] देरी वेरिअ करना। वेरिज वि [दे] असहाय, एकाकी। न. | वेलिल्ल वि [वेलावत् वेला-युक्त । सहायता। वेली स्त्री [दे] निद्राकरी लता। घर के चार वेरुलिअ पुन [वेडूर्य] रत्न की एक जाति । कोणों में रखा जाता छोटा स्तम्भ । विमानावास-विशेष । शक्र आदि इन्द्रों का | वेल देखो वेणु। एक आभाव्य विमान । महाहिमवन्त पर्वत | वेलु [दे] चोर । मुसल । या रुचक पर्वत का एक शिखर । वि. । वेलंक वि [दे] विरूप, खराब, कुत्सित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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