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________________ विहिमिहिय-वीइंगाल संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७६५ विहिमिहिय वि [दे] विकसित । से शरीर की सजावट । विहियव्व देखो विहे = वि + धा का कृ. । विहूसिअ वि [विभूषित] विभूषा-युक्त । विहिविल्ल सक [वि+रचय् ] बनाना ।। विहे सक [वि + धा] करना । बनाना । विहीण वि [विहीन] वजित । त्यक्त । विहेड सक [वि + हेटय] मारना । हिंसा विहीर सक [प्रति + ईक्ष ] प्रतीक्षा करना। करना । पीड़ा करना। विहीर वि [प्रतीक्ष] प्रतीक्षा करनेवाला। विहेडय वि [विहेटक] अनादर-कर्ता । विहीसण देखो विभीसण। विहेढणा स्त्री [विहेठना] पीड़ा। विहीसिया देखो विभीसिया। विहोड सक [ताडय] ताड़न करना । विहु पुं [विधु] चन्द्र । विष्णु । ब्रह्मा । शंकर, | विहोय (अप) देखो विहव । महादेव । वायु । कपूर । वी देखो वि = अपि, वि । विहुअ वि [विधुत] कम्पित । उन्मूलित। | वीअ सक [वीजय] हवा डालना, पंखा त्यक्त । करना। विहुडुअ पुं [दे] राहु, ग्रह-विशेष । वीअ वि [दे] विधुर, व्याकुल । तत्काल उसी विहुण सक [वि + धू] कॅपाना । दूर करना। समय का। त्याग करना । पृथग् करना । वीअ देखो बीअ = द्वितीय । विहुणण न [विधूनन] दूरीकरण । पंखा । वीअ वि [वीत] विगत, नष्ट । °कम्ह न विहुणिय वि [विधूत] देखो विहुअ । [°कश्म ?] गोत्र-विशेष । पुंस्त्री. उस गोत्र विहुर वि [विधुर] विकल, व्याकुल, पीडित । में उत्पन्न । 'धूम वि. द्वेष-रहित । °ब्भय, क्षीण । विसदृश, विलक्षण, विषम, विश्लिष्ट, "भय न. सिन्धुसौवीर देश की प्राचीन राजवियुक्त । न. विह्वलता। धानी । वि. भय रहित । °मोह वि, मोहविहुराइअ वि [विधुरायित] व्याकुल बना | रहित । "राग, राय वि. राग-रहित । हुआ। °सोग पुं [°शोक] एक महाग्रह । °सोगा विहुरिज्जमाण वि [विधुरायमाण] व्याकुल | स्त्री [°शोका] सलिलावती नामक विजय. बनता। प्रान्त की राजधानी। विहुरीकय वि [विधुरीकृत] व्याकुल किया वीअजमण देखो बीअजमण । वीअण न [वीजन] पंखा से हवा करना । हुआ। विहुल देखो विहुर। स्त्रीन. पंखा । स्त्री. °णी। विहल्ल विविफल्ला खिला हुआ। उत्साही । | वीआविय वि [वीजित] जिसको पंखा से विहूअ वि [विधूत] कम्पित । वर्जित । देखो | हवा कराई गई हो वह । विधूय, विहुअ । वीइ पुंस्त्री [वीचि] तरंग । आकाश । संप्रयोग, विहूइ देखो विभूइ। सम्बन्ध । पृथग्-भाव, जुदाई । °दव्व न विहूण देखो विहुण। [°द्रव्य] प्रदेश से न्यून द्रव्य, अवयव-हीनविहूण देखो विहीण। वस्तु । विहूणय न [विधूनक] पंखा । वीइ स्त्री [विकृति विरूप कृति, दुष्ट क्रिया। विहूसण देखो विभूसण। वि. दुष्ट क्रियावाला । देखो विगइ। विहूसा स्त्री [विभूषा] शोभा । अलंकार आदि वीइंगाल वि [वीताङ्गार] राग-रहित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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