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________________ विरय-विरिक्क संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७५३ त्याग । विरय वि [विरत] आंशिक | विराइअ वि [विराजित] सुशोभित । संयम रखनेवाला, जैन उपासक । विराग पुं. वैराग्य । वि. राग-रहित । विरय [दे] छोटा जल-प्रवाह, छोटी नदी । विराड पुं [विराट] देश-विशेष । 'नयर न. विरय पुं[विरजस्] महाग्रह, ज्योतिष्क देव- [°नगर] नगर-विशेष । विशेष । एक देव-विमान । विराध (अप) पुं. एक राक्षस । विरया स्त्री [विरजा] गो-लोक में स्थित राधा | विराम पुं. निवृत्ति, अवसान । की एक सखी। उसके शाप से बनी हुई एक विरामण न [विरमण] निवर्तन, विरमाना । नदी। विराय अक [वि + राज्] शोभना, चमकना । विरल वि. अल्प | अनिबिड । विच्छिन्न ।। विराय वि [विलीन] विगलित, नष्ट । पिघला विरलि स्त्री [दे] डोरी-वाला कपड़ा। हुआ। विरली देखो विराली। विराय देखो विराग । विरल्ल सक [तन्] विस्तारना । विराल देखो बिराल। विरल्ल पुं [तान] विस्तार । विरालिआ स्त्री [विरालिका] पलाश-कन्द । विरल्लिअ देखो विरलिअ । पर्ववाला कन्द । देखो बिरालिआ । विरल्लिअ वि [दे] भीजा हुआ । विराली स्त्री. वल्ली-विशेष । चतुरिन्द्रिय जंतु विरस अक [वि + रस्] क्रन्दन करना। की एक जाति । देखो बिराली। विरस वि. रस-सहित, शुष्क । विरुद्ध रसवाला । विराव पुं. शब्द, आवाज । पुं. राम-भ्राता भरत के साथ जैन दीक्षा लेने विराह सक [वि+ राधय्] खण्डन करना । वाला एक राजा । निर्विकृतिक तप-विशेष । तोड़ना। विरस न [दे] बारह मास । विराहअ । वि [विराधक] खण्डन करनेविरसमुह पुं [दे] कौआ । विराहग , वाला तोड़नेवाला, भंजक । विरह सक [वि+रह.] परित्याग करना । विराहिअ वि [विराधित] खण्डित । अपराद्ध । अलग करना। पुं. एक विद्याधर-नरेश । विरह पुं. वियोग । व्यवधान । पुं. वृक्ष-विशेष । विरिअ वि [भग्न] पाँगा हुआ, तोड़ा हुआ। अभाव । विनाश । हरिवंश का एक राजा। विरिअ देखो वीरिअ। विरह वि [विरथ] रथ-रहित । विरिंच सक [वि + अज] भाग लेना, बाँटविरह पुंन [दे] एकान्त । विजन । कुसुंभ से | लेना । रंगा हुआ कपड़ा। विरिंच पुं [विरिञ्च] ब्रह्मा । विरहाल न [दे] कुसुम्भ से रंगा हुआ वस्त्र । विरिंचि पुं [विरिञ्चि] ऊपर देखो । विरा अक [वि+ली] नष्ट होना। द्रवित | | विरिचिअ वि [दे] विमल । विरक्त । होना। अटकना, निवृत्त होना। विरिंचर पुं [दे] अश्व । वि. विरल । विराइ वि [विरागिन्] विरागवाला। स्त्री. | विरिचिरा स्त्री [दे] धारा, प्रवाह । °णी (नाट) । विरिक्क वि [दे] विदारित ! विराइ वि [विराजिन्]शोभनेवाला, चमकता। विरिक्क वि [विरिक्त] जो खाली हुआ हो । विराइ वि [विराविन्] आवाजवाला। विरिक वि [विभक्त बाँटा हुआ। जिसने विराइअ देखो विराय = विलीन । भाग वाँट लिया हो वह । ९५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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