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________________ विमण- विमुक्क विमण वि [ विमनस् ] शोक सन्तप्त । शून्यचित्त । निराश | जिसका मन अन्यत्र गया हो वह । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पर घिसना । विमलहर पुं [दे] कोलाहल । विमला स्त्री. ऊर्ध्व दिशा । धरणेन्द्र के लोकपालों की अग्र-महिषियों के नाम । गीतरति और गीतयश नाम के गन्धर्वेन्द्रों की अग्र महिषियों के नाम । चौदहवें जिनदेव की दीक्षाशिविका । Jain Education International विमद्द तक [वि + मर्दय् ] संघर्ष करना । मर्दन करना । विमद्द पुं [विमर्द] विनाश । संघर्ष । विमन्न सक [वि + मत्] मानना, गिनना । विमय पुं [दे] पर्व-वनस्पति- विशेष । विमर (अप) नीचे देखो । विमरिपुं [वि + मृश् ] विचारना । विमरिस पुं [विमर्श ] विकल्प, विचार । विमल वि. विशुद्ध । पुं. इस अवसर्पिणी- काल में उत्पन्न तेरहवें जिनदेव । भारतवर्ष में होनेवाले बाईसवें जिन भगवान् । एक प्राचीन जैन आचार्य और कवि, 'पउमचरिअ' नामक जैन रामायण के कर्ता । एक महाग्रह, ज्योतिष्क देव - विशेष | अजितनाथ का पूर्वजन्मीय नाम । पुंन. सहस्रार देवलोक के इन्द्र का एक पारि यानिक विमान । ब्रह्म देवलोक में स्थित एक देव - विमान | एक ग्रैवेयक देव - विमान | छः दिनों का उपवास । सात दिनों का उपवास । पुं. अहिंसा, दया । 'घोस पुं [ घोष] एक कुलकर पुरुष । 'चंद पुं [' चन्द्र ] एक जैन आचार्य | पहा स्त्री [प्रभा] शीतलनाथजी की दीक्षा शिविका । 'वर पुं. आनत - प्राणत देवलोक के इन्द्र का एक पारियानिक विमान | वाहण पुं [ वाहन] भारतवर्ष के भावी प्रथम जिनदेव, जिनके दूसरे नाम देवसेन तथा महापद्म होंगे । कुलकर पुरुष - विशेष । भारतवर्ष का एक भावी चक्रवर्ती राजा । भगवान् अभिनन्दन के पूर्व जन्म के गुरु । भ० सम्भवनाथ का पूर्व - जन्मीय नाम | 'सामि पुं [स्वामिन् ] सिद्धचक्रजी का अधिष्ठायक देव | "सुंदरी स्त्री [सुन्दरी ] षष्ठ वासुदेव की पटरानी । विमाण पुंन [विमान ] देव का निवास भवन । देव-यान, आकाश यान । अपमान । वि. मानरहित प्रमाण शून्य । 'पविभत्ति स्त्री [' प्रविभक्ति ] जैन ग्रन्थ - विशेष । भवण न [भवन ] विमानाकार गृह । वासि पुं [ वासिन्] देवों की एक उत्तम जाति, वैमानिक देव | विमिस्स अ [विमृश्य ] विचार करके । गरि वि [कारिन्] विचार -पूर्वक करनेवाला । विमिस्स वि [ विमिश्र ] मिश्रित । विमिस्सण न [विमिश्रिण] मिश्रण, मिलावट | विमीसिय वि[विमिश्रित ] विमिश्र, मिश्रित । विम्उल देखो विमउल । विमुंच सक [वि + मुच् ] बन्धन - मुक्त करना । परित्याग करना | विमुकुल देखो विमउल | विमलणन [विमर्दन] मणि आदि को शाण विमुक्क वि [ विमुक्त ] बन्धन-रहित । परि ७५१ विमलिअ वि [विमर्दित] जिसका मर्दन किया गया हो । विमलिअ वि [ दे] मत्सर से उक्त । शब्दवाला । विमलेसर [विमलेश्वर ] सिद्धचक्रजी का अधिष्ठायक देव | विमलोत्तर पं. ऐरवत वर्ष का एक भावी जिनदेव | विमहिद (ii) वि [विमथित] जिसका मथन किया गया हो वह । विमाउ स्त्री [विमातृ] सौतेली माँ । विमाण सक [वि + मानय् ] अपमान करना, तिरस्कार करना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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