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________________ ७३५ विगरण-विघत्थ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विगरण न [विकरण] परिष्ठापन, परित्याग । | विगिला ।अक [वि + ग्लै] खिन्न होना । विगरह सक [वि + गर्ह ] निन्दा करना। विगिलाअ । विगराल वि [विकराल] भीषण । विगुण वि. गुण-रहित । प्रतिकूल । विगल अक [वि + गल] टपकना । चूना । | विगुत्त वि [विगुप्त] तिरस्कृप्त, अवधीरित । विगल पुं [विकल] विकलेन्द्रिय-दो, तीन या | जो खुला पड़ गया हो वह । चार ज्ञानेन्द्रियवाला जन्तु । देखो विअल = | विगुप्प' देखो विगोव। . विकल । देस पुं [°देश] नय-वाक्य । विगुव्व देखो विउव्व - विकुर्व । विगलिंदिय पुं [विकलेन्द्रिय] दो, तीन या | विगोइय वि [विगोपित] जिसका दोष प्रकट चार इन्द्रियवाला जन्तु । किया गया हो वह । विगस अक [वि + कस्] खिलना, फूलना। विगोव सक [ वि + गोपय् ] प्रकाशित विगह सक [वि+ग्रह ] लड़ाई करना । वर्ग- | करना । तिरस्कार करना । फजीहत करना। मूल निकालना । समास आदि का समानार्थक विगोवण न [विकोपन] विकास । वाक्य बनाना। विग्गह पं [विग्रह] वक्रता। शरीर । युद्ध । विगह देखो विग्गह। समास आदि के समान अर्थवाला कक्य । विगहा स्त्री [विकथा] शास्त्र-विरुद्ध वार्ता। विभाग । आकृति । गइ स्त्री [गति] गति, स्त्री आदि की अनुपयोगी बात। वक्र गति । विगाढ वि. विशेष गाढ़ । चारों ओर से विग्गहिय वि [वैग्रहिक] शरीर के अनुरूप । व्याप्त । विग्गहीअ वि [विग्रहिक] युद्ध-प्रिय । विगाण न [विगान] । लोकापवाद। विरोध ।। विग्गाहा (अप) स्त्री [विगाथा] छन्द-विशेष । विगार पुं [विकार] विकृति । विग्गुत्त वि [दे] व्याकुल किया हुआ । विगाल देखो विआल = विकाल । विरगुत्त देखो विगत्त। विगालिय वि [विगालित] विलम्बित, प्रती- | विग्गोव देखो विगोव । क्षित । विग्गोव पुं [दे] आकुलता। विगाह अक [वि + गाह ] अवगाहन करना। | विग्घ पुन [विघ्न] अन्तराय । प्रतिबन्ध । प्रवेश करना। आत्मा के वीर्य, दान आदि शक्तियों विगिंच सक [वि+विच्] पृथक् करना । ___ का घातक कर्म । °कर वि. प्रतिबन्धकर्ता । परित्याग करना । विनाश करना । °ह वि [°घ] विन-नाशक । वह वि. विगिचण । न [विवेचन ] परिष्ठापन, विघ्नवाला। विगिचणया परित्याग । स्त्री [विवेचना] विग्घर वि [विगृह] गृहरहित । निर्जरा, विनाश । विग्घुटु वि [विघुष्ट] चिल्लाया हुआ। देखो विगिच्छा स्त्री [विचिकित्सा] संदेह, बहम । विगिट्ट देखो विकिट्ठ । °खमग पुं [क्षपक] विघट्ट सक [वि + घट्टय] वियुक्त करना । तपस्वी साधु । भत्तिय वि [°भक्तिक] विनाश करना। लगातार चार या उससे अधिक दिनों का विघड देखो विहड = वि + घट् । उपवास करनेवाला। विघत्थ वि [विघस्त, विग्रस्त] विशेष रूप विगिय देखो विगय = विकृत । | से भक्षित । व्याप्त । विघुट्ठ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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