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________________ अपडिच्छिर-अपिट्ट संक्षिप्त प्राकृत हिन्दी कोष ग्रहण करने की शक्ति) से रहित । 'नाम न । अपराजिया स्त्री [अपराजिता] भगवान ["नामन्] नाम-कर्म का एक भेद । मल्लिनाथ की दीक्षा-शिविका । पक्ष की दशवों अपडिच्छिर वि [दे] जड़ बुद्धि । रात। अपडिण्ण वि [अप्रतिज्ञ] प्रतिज्ञारहित, निश्चय अपरिग्गहा स्त्री [अपरिग्रहा] वेश्या । रहित । राग-द्वेष आदि बन्धनों से वर्जित । | अपरिग्गहिआ स्त्री [अपरिगृहीता] वेश्या, अपडिपोग्गल वि [अप्रतिपुद्गल] दरिद्र । कन्या वगैरह अविवाहिता स्त्री। विधवा । अपडिवाइ देखो अप्पडिवाइ। घरदासी । पनहारी । देव-पुत्रिका, देवता को अपडिहटु अ [अप्रतिहत्य] न देकर । भेंट की हुई कन्या। अपडिहय देखो अप्पडिय। अपरिणय वि [अपरिणत] रूपान्तर को अपडुप्पण्ण वि [अप्रत्युत्पन्न] अ-विद्यमान । अप्राप्त । जैन साधु की भिक्षा का एक दोष । प्रतिपत्ति में अ-कुशल । अपरिसेस वि [अपरिशेष] सकल, निःशेष । अपभासिय देखो अवभासिय = अपभाषित । अपरिहारिय वि [अपरिहारिक] दोषों का अपमाण न [अप्रमाण] असत्य । वि. ज्यादा। परिहार नहीं करनेवाला । पु. जैनेतर दर्शन अपय वि [अपद] पाँव रहित, वृक्ष, द्रव्य, का अनुयायी गृहस्थ । भूमि वगैरह पैर रहित वस्तु । पु. मुक्तात्मा । | अपवग्ग [अपवर्ग] मुक्ति । सूत्र का एक दोष । अपविद्ध वि प्रेरित । न. गुरु-वन्दन का एक दोष, अपय स्त्री [अप्रज] सन्तानरहित । गुरु को वन्दन करके तुरन्त ही भाग जाना। अपर देखो अवर। वैशेषिक दर्शन में प्रसिद्ध अपह वि [अप्रभ] निस्तेज । अवान्तर सामान्य । अपहत्थ देखो अवहत्थ । अपरच्छ वि [अपराक्ष] परोक्ष । अपहारि वि [अपहारिन]अपहरण करनेवाला । अपरद्ध देखो अवरज्झ। अपहिय वि [अपहृत] छीना हुआ । अपरंतिया स्त्री [अपरान्तिका] छन्द-विशेष । अपाइय वि [अपावित] भाजन-वजित । अपराइय वि [अपराजित] अ-परिभूत । पुं. | अपाउड वि [अपावृत] नहीं ढका हुआ, नग्न । सातवें बलदेव के पूर्वजन्म का नाम । भरतक्षेत्र अपादाण न [अपादान] कारक-विशेष, जिसमें का छठवाँ प्रतिवासुदेव । उत्तम-पंक्ति के देवों | पञ्चमी विभक्ति लगती है। की एक जाति । भगवान् ऋषभदेव का एक | अपाण न [अपान] पान का अभाव । पानी पुत्र । एक महाग्रह । अनुत्तर देवलोक का एक जैसा ठंडा पेय वस्तुविशेष । न. अपान विमान- देवावास । रुचक पर्वत का एक | | वायु । गुदा । वि. निर्जल (उपवास)। शिखर । जम्बूद्वीप की जगती का उत्तर द्वार । | अपायावगम पु [अपायापगम] जिनदेव का अपराइया स्त्री [अपराजिता] विदेह-वर्ष की | एक अतिशय । एक नगरी। आठवें बलदेव की माता । | अपार वि पार-रहित, अनन्त । अंगारक ग्रह की एक पटरानी का नाम । एक | अपारमग्ग पु[दे] विश्रान्ति । दिशा-कुमारी देवी । ओषधि-विशेष । अञ्ज- | अपाव वि [अपाप] पाप-रहित । न. पुण्य । नाद्रि पर्वत पर स्थित एक पुष्करिणी। अपावा स्त्री [अपापा] नगरी-विशेष, जहां अपराजिय देखो अपराइय । भगवान् महावीर का निर्वाण हुआ था। अपराजिया देखो अवराइया । । अपिट्ट वि [दे] पुनरुक्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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