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________________ ५४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अधम्मिट्ठ-अपजत्तग अनीति, एक स्वतन्त्र और लोक-व्यापी अजीव । अनियमिय वि [अनियमित] अव्यवस्थित । वस्तु, जो जीव वगैरह को स्थित करने में असंयत, इन्द्रियों का निग्रह नहीं करनेवाला । सहायता पहुँचाती है । वि. धर्म-रहित, पापी । | अनिहारिम देखो अणोहारिम । केउ पुं [ केतु] पापिष्ठ । °क्खाइ वि | अनु (अप) देखो अण्णहा। [ख्याति प्रसिद्ध पापी। क्खाइ वि | अनुचिट्ठिय देखो अणुट्ठिय । [°ख्यायिन्] पाप का उपदेश देनेवाला । | अन्नओ । हुत्त क्रिवि [°मुख] दूसरो तरफ । °त्थिकाय पुं [स्तिकाय] अधम्म का | अन्नत्थं देखो अण्णत्थ । दूसरा अर्थ देखो। °बुद्धि वि पापी, पापिष्ठ । | अन्नय पुं [अन्वय] एक की सत्ता में ही दूसरे अधम्मिट्र वि [अमिष्ठा धर्म को नहीं करने की विद्यमानता, जैसे अग्नि की हयाती में ही वाला । महा-पापी। धूम की सत्ता, नियमित सम्बन्ध । अधम्मि? वि [अधर्मेष्ट] अधर्म-प्रिय । अन्ना स्त्री [दे] जननी। अधम्मिट्ठ वि [अधर्मीष्ट] पापियों का प्यारा । अन्नाइट्ठ वि [अन्वाविष्ट] आक्रान्त । अधर देखो अहर । अन्नाहुत्त वि दे] पराङ्मुख । अधवा (शौ) देखो अहवा। अन्नि वि [अन्यदीय] परकीय । अधा स्त्री [अधस्] अधो-दिशा । अन्नियसुय पुं [अन्निकासुत] एक विख्यात अधि देखो अहि = अधि । जैन मुनि । अधिकरण देखो अहिगरण । अन्नुत्ति स्त्री [अन्योक्ति] साहित्य-प्रसिद्ध एक अधिग वि [अधिक] विशेष, ज्यादा । अलङ्कार । अधिगम देखो अहिगम। अन्नुमन्न देखो अण्णुण्ण । अधिगरण देखो अहिगरण । अप स्त्री. ब. [अप्] पानी । काय. पु पानी अधिगरणिया देखो अहिगरणिया। के जीव । अधिगार देखो अहिगार। अपइट्ठाण देखो अप्पइट्ठाण । अधिण्ण (अप) वि [अधीन] आयत्त, परवश । अपइट्ठिअ पुं [अप्रतिष्ठित] नरक-स्थान अधिमासग पुं[अधिमासक] अधिक मास । विशेष । देखो अप्पइट्ठिअ। अधिरोविअ वि [अधिरोपित] आरोपित । अपएस वि [अप्रदेश] निरंश । पुं. खराब अधीगार देखो अहिगार । स्थान । अधीय देखो अहीय। अपंग पुं [अपाङ्ग] नेत्र का प्रान्त भाग । अधीस वि [अधीश] नायक । तिलक । हीन अंग वाला। अधुव देखो अधुव । अपंडिअ वि [दे] अ-नष्ट, विद्यमान । अधो देखो अहो % अधस् । अपकरिस पुं [अपकर्ष] ह्रास । अनालंफ (चूपै) वि [अनारम्भ] पाप-रहित । अपगंड वि [अपगण्ड] निर्दोष । न. फेन । अनालंफ(चूपै) वि[अनालम्भ] अहिंसक, दयालु अपचय पुं अपकर्ष, हीनता । अनिगिण देखो अणगिण । अपच्च देखो अवच्च । अनिदाया । देखो अणिदा। अपच्छिम वि [अपश्चिम] अन्तिम । अनिद्दाया अपज्जत्त । वि [अपर्याप्त] अपर्याप्त, अनिमित्ती स्त्री लिपि-विशेष । अपजत्तग , असमर्थ । पर्याप्ति (आहारादि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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