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________________ ६६८ मूसा स्त्री [ मूषा ] मूस, धातु गलाने का पात्र । मूसा ) स्त्री [दे] छोटा दरवाजा | मूसाअ } मूस देखो मूसय । रिपुं. मार्जार । अ. मेरा । मुझसे । न. । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष मेअ पुं [मेद] अनार्य देश-विशेष या जाति । पुंस्त्री. चाण्डाल । स्त्री. मेंई । अवि [य] जानने योग्य, प्रमेय पदार्थ | नापने योग्य । न वि [' ज्ञ] पदार्थ- ज्ञाता । मेअ पुंन [मेदस्] शरीर स्थित चर्बी । मेअज्ज न [दे] अन्न ৷ अज्ज पुं [मेदार्य ] मैदार्य गोत्र में उत्पन्न | अज्ज पुं [मेतार्य ] भगवान् महावीर का दसवाँ गणधर । एक जैन महर्षि । अय वि [मेचक ] कृष्ण-वर्ण । अरवि[] असहिष्णु । मेअल पुं [मेकल ] पर्वत- विशेष | स्त्री [कन्या ] नर्मदा नदी । मेअवाडय पुंन [मेदपाटक] मेवाड़ | सामि मेइणि स्त्री [मेदिनी] पृथिवी । चाण्डामेइणी लिन । 'नाह पुं [नाथ ] राजा । °पइ ं [°पति] राजा । चाण्डाल | पुं [°स्वामिन्] । °सर पुं. [श्वर] मेंठ पुं [दे] महावत | देखो मिठ । मेंठी स्त्री [दे] मेषी, गड़रिया । राजा । Jain Education International मेंढ पुंस्त्री [मेढू] भेड़, गाड़र । मुह [° मुख] एक अन्तद्वप | उसकी मनुष्य जाति । विसाणा स्त्री ['विषाणा] मेढाशिंगी वनस्पति | देखो मिढ । मेखला देखो मेहला । मेघ देखो मेह | 'मालिणी स्त्री [मालिनी] नन्दन वन के शिखर की एक दिक्कुमारी देवी । 'वई स्त्री [ती] एक दिक्कुमारी देवी | वाहण पुं [वाहन] एक विद्याधर राजकुमार । मेघंकरा स्त्री [मेघङ्करा ] एक दिक्कुमारी देवी | मेच्छ देखो मिच्छ = म्लेच्छ । मेज्जन [य] मान- तौल, जिससे मापा जाय । | मेज्ज देखों मेअ = मेय | मेज्झ देखो मिज्झ । मेट देखो मिट | मेडंभ पुं [दे] मृग-तन्तु । मेडय पुं [दे] मजला, तला । मेड्ढ देखो मेंढ | मेढ पुं [] वणिक् को मदद करनेवाला । मेढक पुं [दे] काष्ठ का छोटा डंडा । मेढि पुं [मेथि] खले के बीच का काष्ठ, जहाँ पशु बाँध कर धान्य-मर्दन किया जाता है । आधार स्तम्भ । भूअ वि [भूत] आधार मध्य में स्थित । सदृश । नाभि भूत, मेणआ कन्ना | मेणक्का मूसा - मेलाय स्त्री [मेनका ] हिमालय की पत्नी । स्वर्ग की एक वेश्या । मेत्त न [ मात्र ] संपूर्णता । अवधारण । मत्तल [ दे] देखो मित्तल । ती स्त्री [मैत्री] दोस्ती । या देखो मेहुण । मेर (अप) वि [ मदीय] मेरा । मेरग पुं [मेरक, मैरेयक ] तृतीय प्रतिवासुदेव राजा । पुंन. मद्य-विशेष । वनस्पति का त्वचा - रहित टुकड़ा। मेरा स्त्री [दे. मिरा] मर्यादा । मेरा स्त्री. तृण-विशेष, मुञ्ज की सलाई । दशवें चक्रवर्ती की माता । मेरु पुं. पर्वत - विशेष । छन्द - विशेष । कोई भी पहाड़ । मेल सक [मेलय् ] मिलाना | इकट्ठा करना । मेल पुं. मिलाप, संयोग, मिलन । मेलय पुं [मेलक] सम्बन्ध, संयोग । मेला । मेलव क [मेलय्, मिश्रय् ] मिलाना, मिश्रण करना । मेला अक [मिल्] एकत्रित होना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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