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________________ ६५८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष माणिभद्द-माया माणिभद्द पुं [माणिभद्र] यक्ष-निकाय के उत्तर , मामास पुं [मामाष] अनार्य देश-विशेष । दिशा का इन्द्र । यक्षदेवों की एक जाति । अनार्य देश में रहनेवाली मनुष्य-जाति । देव-विशेष । शिखर-विशेष । एक देव- | मामि अ. सखी आमन्त्रण का अव्यय । विमान । मामिया) स्त्री [दे] मामा की बहू । माणिम देखो माण = मानय् । मामी । माणी स्त्री [मानिका] २५६ पलों का माप । माय वि [मात] समाया हुआ। माणुस पुंन [मानुष] मनुष्य । वि. मनुष्य- माय वि [मायावत्] कपटवाला । सम्बन्धी। माय देखो मेत्त = मात्र । माणुसी स्त्री [मानुषी] स्त्री-मनुष्य । मनुष्य | माय° देखो माया = माया। से सम्बन्ध रखनेवाली। माय° देखो मत्ता = मात्रा। °न्न वि [ज्ञ] माणुसुत्तर | पुं [मानुषोत्तर] मनुष्यलोक परिमाण का जानकार । माणुसोत्तर का सीमाकारक पर्वत । न. | मायइ स्त्री दे] वक्ष-विशेष । एक देव-विमान । मायंग पुं [मातङ्गभ. सुपार्श्वनाथ का शासनमाणुस्स देखो माणुस। यक्ष । म महावीर का शासन-यक्ष । हाथी । माणुस्स , न मानुष्य, °क] मनुष्यत्व । चाण्डाल,डोम । माणुस्सय । मायंगी स्त्री [मातङ्गी] चाण्डालिन । एक माणुस्सी देखो माणुसी। विद्या। माणूस देखो माणुस । मायंजण पुं [मातञ्जन] पर्वत-विशेष । माणेसर पुं [माणेश्वर, माणिभद्र यक्ष । मायंड पुं [मार्तण्ड] सूर्य । माणोरामा (अप) स्त्री [मनोरामा] छन्द- मायंद पुं [दे. माकन्द] आम का पेड़ । विशेष । मायंदिअ देखो मागंदिअ। मातंग देखो मायंग। मायंदी स्त्री [माकन्दी] नगरी-विशेष । मातंजण देखो मायंजण। मायंदी स्त्री [दे] श्वेताम्बर साध्वी । मातुलिंग देखो माहुलिंग। मायण्हिया स्त्री [मृगतृष्णका] किरण में मादलिआ स्त्री [दे] माता । जल की भ्रान्ति, मरु-मरीचिका । मादु देखो माउ = स्त्री। मायहिय (अप) देखों मागहिया। माधवी देखो माहवी = माधवी । माया = देखो माइ = मातृ । °पिइ, पिति माभाइ । पुंस्त्री [दे] अभय-दान, अभय । पुन [ °पितृ ] माँ-बाप । 'मह पुं. माँ का माभीसिअ न [दे] । बाप । वित्त देखो °पिइ । माम अ. कोमल आमन्त्रण का सूचक अव्यय ।। माया देखो मत्ता = मात्रा। माम पुं [दे] माँ का भाई। माया स्त्री [माया] कपट, धोखा । इन्द्रजाल । मामग । वि [मामक] मदीय, मेरा ।। मन्त्राक्षर 'ह्रीं'। छन्द-विशेष । °णर पुं. मामय , ममतावाला । [°नर] पुरुष-वेश-धारी स्त्री-आदि । °बीय मामा स्त्री [दे] मामी। न [°बीज] 'ह्रीं' अक्षर । °मोस पुन मामाय वि [मामाक] 'मा' 'मा' बोलनेवाला, | [मृषा] कपट-पूर्वक असत्य वचन । °वत्तिअ, निवारक। °वत्तीय वि [°प्रत्ययिक छल-मूलक । वि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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