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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष मइल-मंखलि कलंकित करना। | मउलि पुंस्त्री [मौलि] मुकुट । मस्तक । शिरोमइल अक [दे. मलिनाय] फीका लगना। वेष्टन, पगड़ी। चूड़ा, चोटी । संयत केश । पुं मइलपुत्ती स्त्री [दे] पुष्पवती, रजस्वला स्त्री। अशोक वृक्ष । स्त्री. भूमि । मइल्ल वि [मृत] मरा हुआ। मउलिअ वि [मुकुलित] संकुचित । मुकुलामइहर पुं[दे] ग्राम-प्रधान । देखो मयहर।। कार किया हुआ। एकत्र स्थित । कलिका मई स्त्री [दे] दारू । सहित । मई स्त्री [मृगी] हिरनी । मउवी देखो मउई। मई देखो मइ - मति । मऊर पुंस्त्री [मयूर] मोर पक्षी । °माल न. मईअ वि [मदीय] मेरा, अपना । एक नगर । मउ पुं [दे] पर्वत । मऊरा स्त्री [मयूरा] एक रानी, महापद्म चक्रमउ वि [°मृदु] कोमल, सुकुमार । वर्ती की माता । मउअ वि [दे] गरीब । मऊह पुं [मयूख] किरण । कान्ति, तेज । मउइअ वि [मदुकित] जो मृदु बना हो । शिखा । शोभा । राक्षस वंश एक राजा लंकामउई देखो मउ - मृदु । पति । मउंद पुं [मुकुन्द] विष्णु, श्रीकृष्ण । वाद्य | मए सक [मदय्] उन्मत्त बनाना । विशेष । मएजारिस वि [मादृश] मेरे जैसा । मउक्क देखो माउक्क = मृदुत्व । | मं (अप) देखो म । °कार पुं. 'मा' अव्यय । मउड पुंन [मुकुट] शिरा-भूषण, किरीट ।। मंकड देखो मक्कड। मउड पुं [दे] धम्मिल्ल, कबरी, जूट, जूड़ा। मंकण पुं [मत्कुण] क्षुद्र कीट, खटमल । मउडि । मंकण पुंस्त्री [दे. मर्कट] वानर ।। मउण देखो मोण । मंकाइ पुं [मङ्काति] एक अन्तकृद् महर्षि । मउर पुन [मुकुर] फूल की कली, बौर । मंकार पुं [मकार] 'म' अक्षर । दर्पण । कुलाल-दण्ड । बकुल । मल्लिका, कोली मंकिअ न [मङ्कित] कूद कर जाना । या ग्रंथि पर्ण-वृक्ष, चोरक । मंकुण देखो मंकण = मत्कुण । हत्थि पुं मउर पुं [दे] वृक्ष-विशेष, अपामार्ग, | "हस्तिन] गण्डीपद प्राणि-विशेष । मउरद ) ओंगा, लटजीरा, चिरचिरा।। मंकुस [दे] देखो मंगुस। मउल देखो मउड = मुकुट । मंख देखो मक्ख = म्रक्ष् । माउल पुंन [मुकुल] थोड़ी विकसित कली, | मंख पुं [दे] अण्ड, वृषण । कलिका, बौर । देह, आत्मा । मंख पुं [मङ्ख] एक भिक्षुक-जाति जो चित्रपट मउल अक [मुकुलय्] संकुचित होना। दिखाकर जीवन निर्वाह करता है । 'फलय न मउलाअ अक [मुकुलय] सकुचना । सक. , [फलक] मंख का तख्ता । निर्वाह हेतुक संकुचित करना। चैत्य । मउलाव देखो मउला । मंखण न [म्रक्षण] मक्खन, मालिश । मउलावअ वि [मुकुलायक] संकुचित कर्ता । । मंखलि पुं [मङ्खलि] एक मंख-भिक्षु, गोशालक मउलि पुंस्त्री [दे] हृदय-रस का उच्छलन। का पिता । "पुत्त पुं [°पुत्र] गोशालक, मउलि पुं [मुकुलिन्] सर्प-विशेष । आजीवक मत का प्रवर्तक एक भिक्षु जो पहले www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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