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________________ ६३४ भेरुंड पुं [दे] चीता, श्वापद । निर्विष सर्प 1 भेरुताल पुं. वृक्ष- विशेष 1 भेल सक [भेलय् ] मिश्रण करना, भेलय पुं [दे. भेलक] बेड़ा, नौका । भेलविवि [भेलित ] मिश्रित, युक्त । भेली स्त्री [दे] आज्ञा । बेड़ा । दासी । भेस सक [भेषय् ] डराना । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष भेरुंड - भोच्चा भोइअवि [भोजित ] जिसे भोजन कराया हो । भोइणी स्त्री [ दे. भोगिनी] ग्रामाध्यक्ष की पत्नी । } मिलाना । भेसग पुं [ भीष्मक ] रुक्मिणी का पिता, कौण्डिन्य- नगर का एक राजा । भेसज न [भैषज ] । भेसज्ज [भैषज्य ] औषध, दवाई । भेसण देखो भीसण । नौका | Jain Education International भो देखो भुंज । भो अ [भोस् ] आमन्त्रण - द्योतक अव्यय । भोस [भवत् ] तुम, आप । भोअ सक [ भोजय् ] खिलाना, भोजन कराना । भोअ पुं [दे. भोग] भाड़ा, किराया । भो देखो भोग | भोअ पुं [भोज], राय पुं [राज] उज्जयिनी नगरी का सुप्रसिद्ध राजा । भोअ वि [ भौत] भस्म से उपलिप्त । भोग व [भोजक] खानेवाला, पालक । भोअडा स्त्री [दे] कच्छ, लंगोट । भोअण न [भोजन ] भक्षण | भात आदि खाद्य वस्तु । सतरह दिनों का उपवास । उपभोग । 'रुक्ख पुं ['वृक्ष ] भोजन देनेवाली एक कल्पवृक्ष- जाति । भोअल (अप) पुं [दे. भोल] छन्द- विशेष । भोइया स्त्री [भोग्या ] भार्या । वेश्या । भोई भोग-युक्त, भोगासक्त, भोई देखों भो° = भवत् । भोंड देखो भुंड | भोक्ख देखो भुंज | । । सर्प की फणा । भोग पुंन स्पर्श, रस आदि विषय, उपभोग्य पदार्थ | विषय - सेवा । विषयाभिलाष | विषय - सुख स्थानीय । एक क्षत्रिय कुल गुरु वंश में उत्पन्न | शरीर । सर्प का शरीर | करा देखो 'भोगंकरा । कुल न पूज्य - स्थानीय कुल - विशेष । 'पुर न. नगर - विशेष | 'पुरिस पुं [पुरुष] भोगतत्पर पुरुष । 'भागि वि [भागिन् ] भोगशाली । 'भूम वि. भोग-भूमि में उत्पन्न | 'भूमि स्त्री. देवकुरु आदि अकर्म-भूमि । 'भाग पुंन [भोग] भोगार्ह शब्दादि विषय, मनोज्ञ शब्दादि । मालिणी स्त्री [मालिनी ] अधोलोक में रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवो । राय पुं [राज ] भोग-कुल का राजा । 'वया स्त्री [' वतिका] लिपि - विशेष । 'वई स्त्री ['वती] अधोलोक में रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी । पक्ष की दूसरी, सातवीं और बारहवीं रात्रि तिथि | 'विस पुं [ विष] सर्प की एक जाति | भइ वि [भोजिन्] भोजन करनेवाला । भोइ देखो भोगि । भोइ ) पुं [दे. भोगिन्, °क] ग्राम का | भोगि पुं [भोगिन्] सर्पं । पुंन. शरीर । वि भोइअ मुखिया । महेश । f भोइअ वि [भोगिक ] विलासी । भोग- वंश में उत्पन्न । भोग-युक्त, भोगासक्त, विलासी । भोग्ग भुंज का कृ. । भोच्चा भुंज का संकृ. । मदन- व्यापार । भोजन । गुरु अमात्य आदि भोगंकरा स्त्री [भोगंकरा ] अधोलोक में रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी । भोगा स्त्री [भोगा] देवी विशेष | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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