SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 643
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६२४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष भरिअ-भवीस राजा, चक्रवर्ती । चक्रवर्ती भरत । वि [°स्थकेवलिन्] जीवन्मुक्त । °धारणिज्ज भरिअ वि [भूत, भरित] पूर्ण, व्याप्त । न [°धारणीय] जीवन-पर्यन्त धारण करने भरिउल्लट्ट वि [दे. भृतोल्लुठित] भर कर | योग्य शरीर । °पच्चइय वि [ प्रत्ययिक] खाली किया हुआ । नरकादि-योनि-हेतुक । न. अवधिज्ञान का भरिम वि. भर कर बनाया हुआ । भेद । भूइ पु [भूति] संस्कृत का एक भरिया (अप) देखो भारिया। कवि । 'सिद्धिय, सिद्धीय वि [°सिद्धिक भरिली स्त्री. चतुरिन्द्रिय जन्तु-विशेष । उसी जन्म में या बाद में मुक्ति-गामी । भरु पुं. अनार्य देश । अनार्य-जाति ।। भिणंदि, हिनंदि वि [भिनन्दिन] भरुअच्छ पुं. [भृगुकच्छ] गुजरात का एक | संसार को पसंद करनेवाला । गाहि न प्रसिद्ध शहर । [पग्राहिन्] कर्म-विशेष । भरोच्छय न [दे] ताल का फल । भव देखो भव्व। भल देखो भर = स्मृ । भव पुं [भवत्] तुम, आप । भल सक [ भल ] सम्हालना । भवंत भलंत वि [दे] स्खलित होता, गिरता । भवं (अप) भम = भ्रम् । भलि पुंस्त्री [दे] कदाग्रह । भवण न [भवन] उत्पत्ति, जन्म । गृह, वसति । भल्ल पुं [भल्ल] रीछ । पुन. भाला। असुरकुमार आदि देवों का विमान । सत्ता। भल्ल वि [भद्र] भला, उत्तम, अच्छा । °त्तण, वइ पुं [ पति], वासि पु [°वासिन्] प्पण न [°त्व] भलाई। एक देव-जाति । °वासिणी स्त्री [°वासिनी] देवी-विशेष । भल्लाअय हिव पुं [ °धिप] एक [भल्लात, 'क] भिलावा का | देव-जाति । भल्लातक पेड़ । न. भिलावा का फल ।। भवर देखो भमर। भल्लाय भवाणी स्त्री [भवानी] पार्वती। °कंत पुं भल्लि स्त्री. देखो भल्ली। [°कान्त] महादेव । भल्लिम पुंस्त्री [भद्रत्व] भलाई, भद्रता। भवारिस वि [भवादश] तुम्हारे जैसा । भल्ली स्त्री. भाला, अस्त्र-विशेष । भवि पुं [भविन्] भव्य जीव, मुक्ति-गामी । भल्लु पुंस्त्री [दे] भालू । भविअ वि [भव्य] सुन्दर । श्रेष्ठ, उत्तम । भल्लंकी स्त्री [दे] शृगाली । मुक्ति-योग्य, मुक्ति-गामी । भावो । भल्लोड पुन [दे] शर का अग्न भाग । | भविअ वि [भविक] मुक्ति-योग्य । संसारी । भव अक [ भू ] होना । सक. प्राप्त करना । | भविअ वि [°भविक] भव-सम्बन्धी । देखो भव्व। भवित्ती स्त्री [भवित्री] होनेवाली। . भव पुं. संसार । संसार का कारण । उत्पत्ति । भवियव्वया स्त्री [भवितव्यता] नियति । नरकादि योनि, जन्म-स्थान । वि. भावी।। भविल वि. निष्ठुर । उत्पन्न । न. देव-विमान-विशेष । जिण | भविस (अप)। °त्त, यत्त पुं [°दत्त] एक वि [ जिन] रागादि जीतनेवाला । टिइ | कथा-नायक ।। स्त्री [स्थिति] देव आदि योनि में उत्पत्ति भविस्स पुं [भविष्य] भविष्य काल । वि. की काल-मर्यादा । संसार में अवस्थान । 'त्थ | भविष्य काल में होनेवाला । वि [°स्थ] संसार में स्थित । °त्थकेवलि | भवीस (अप) ऊपर देखो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy