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________________ भमरटेंटा - भरहेसर देश-विशेष | वलि स्त्री. छन्द - विशेष । भ्रमर-पंक्ति । भमरटेंटा स्त्री [ दे] भ्रमर जैसी अक्षिगोलकवाली या अस्थिर आचरणवाली । शुष्क व्रण के दागवाली । भरिया स्त्री [भ्रमरिका ] जन्तु- विशेष । बर्रे । भमलिया स्त्री [भ्रमरीका, 'री] पित्त से भमली होनेवाला रोग | भमाड भमस पुं [दे] ईख की तरह का घास । [भ्रमय् ] घुमाना, फिराना | देखो भमाव } भम = भ्रम् । भमाड पुं [ भ्रम] भ्रमण, घूमना, चक्कर | भमास [दे] देखो भमस । भमि स्त्री [भ्रमि] आवर्त्त । चित्त-भ्रम करने की शक्ति | रोग विशेष, चक्कर । भमुह भमुहा भम्म न. [भ्रू] । स्त्री. भौं । देखो भम - भ्रम् । } संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष भम्मड भम्मर (अप) देखो भमर । भय देखो भद । भय न डर, त्रास । 'अर वि [° कर ] भयजनक | 'जणणी स्त्री ['जननी] त्रास उत्पन्न करनेवाली । विद्या- विशेष | वाह पुं. राक्षस- वंश का एक लंका पति । भय देखो भव । भय देखो भग । भयंकर वि. भय जनक । हिंसा । भयंत देखो भंत, भदंत । भयंत ) वि [भयत्र ] भय से रक्षा करनेवाला | भयंतु [भयत्रातृ ] । } भयंतु वि [भक्तृ] सेवक । भयक भयग } वृं [भृतक] नौकर । वि॰ पोषित । Jain Education International ६२३ भयण न [भजन ] सेवा । विकल्प | विभाग । भयण देखो भवण । भयप्पइ भयप्फइ भयवग्गाम पुं [दे] मोढेरक गाँव । भयाणय वि [ भयानक ] भय-जनक | भयालि पुं. भारतवर्ष के भावी अठारहवें जिनदेव का पूर्व भवीय नाम । भयालु वि [भीरु ] भीरु । देखो बहस्सइ । } भय अक [ भज् ] सेवा करना । विकल्प से भरणी स्त्री. नक्षत्र - विशेष । करना | विभाग करना । ग्रहण करना । भयावण) (अप) [ भयानक ] भय कारक । भयावह } भरसक [भृ] भरना । धारण करना । पोषण करना । भरसक [स्मृ] स्मरण करना । भर पुंन. समूह | बोझ । गुरुतर कार्य । प्रचुरता । कर की प्रचुरता । पूर्णता, सम्पूर्णता । मध्य भाग । जमावट । भरअ देखो भरह | भरड पुं [भरट] व्रती विशेष | भरण न. पूरना । पोषण । वस्त्र में बेल-बूटा बनाने का शिल्प | } भरध ( (शौ) पुं [भरत] आदिनाथ का ज्येष्ठ भरह पुत्र प्रथम चक्रवर्ती राजा । राजा रामचन्द्र का छोटा भाई । नाट्य शास्त्र का कर्त्ता मुनि । भारतवर्ष । भारत वर्ष का प्रथम भावी चक्रवर्ती | शबर । तन्तुवाय । नृपविशेष, राजा दुष्यन्त का पुत्र । भरत के वंशज राजा । नट । देव- विशेष । कूट- विशेष, पर्वतविशेष का शिखर । खित्त न [ " क्षेत्र ] भारतवर्षं । 'वास न [ वर्ष ] भारतवर्ष, आर्यावर्त्त । सत्थन [ 'शास्त्र] भरतमुनि का नाट्यशास्त्र | हिव पुं [प] हिवर [धिपति] भारतवर्ष का राजा, चक्रवर्त्ती । भरत चक्रवर्त्ती । भर हेसरपुं [भरतेश्वर ] संपूर्ण भारतवर्ष का For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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