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________________ ५८४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पिवासिय-पीड पिवासिय वि [पिपासित] तृषित । ( पिहु देखो पिह = पृथक् । पिवीलिआ देखो पिपीलिआ। पिहु° देखो पिहुय। पिव्व देखो पिब्ब। पिहुंड न [पिहुण्ड] नगर-विशेष । पिस सक [पिष्] पीसना । पिहुण [दे] देखो पेहुण । हत्थ पुं[ हस्त] पिसंग पुं [पिशङ्ग] पिङ्गल वर्ण, मठियारा | मयूर-पिच्छ का पंखा। रंग । वि. पिंगल वर्णवाला । पिहुत्त देखो पुहुत्त। पिसंडि [दे] देखो पसंडि। पिहुय पुंन [पृथुक] खाद्य-विशेष, चिउड़ा । पिसल्ल पुं[पिशाच] पिशाच, व्यन्तर-योनिक | पिहुल वि [पृथुल] विस्तीर्ण । देवों की एक जाति । पिहुल न [दे] मुंह से बजाया जाता तृणपिसाजि वि [पिशाचिन्] भूताविष्ट । वाद्य । पिसाय देखो पिसल्ल । पिहे देखो पिहा। पिसिअ न [पिशित] मांस । पिहो अ [पृथक ] अलग। पिसुअ पुंस्त्री [पिशुक] क्षुद्र कीट-विशेष । पिहोअर वि [दे] तनु, कृश, दुर्बल । पिसुण सक [कथय] कहना । पी सक. पान करना। पिसुण पुं [पिशुन] खल, दुर्जन, चुगुलखोर । पीअ पुं [पीत] पीला रंग । वि. पीत वर्णपिसुमय (प) पुं [विस्मय] आश्चर्य । वाला । जिसका पान किया गया हो वह । पिह सक [स्पृह ] इच्छा करना, चाहना । जिसने पान किया हो वह । पिह वि [पृथक्] भिन्न । पीअ वि [प्रीत] प्रीति-युक्त । संतुष्ट । पिहं अ [पृथक् ] अलग । पीअर (अप) नीचे देखो। पिहंड पुंदे] वाद्य-विशेष । वि. विवर्ण । पीअल देखो पीअ = पीत । पिहड देखो पिढर। पीअसी स्त्री [प्रेयसी] प्रेम-पात्र स्त्री । पिहण न [पिधान] ढक्कन । आच्छादन । पीइ पुं [दे] अश्व । पिहय देखो पिह - पृथक् । पीइ । स्त्री [प्रीति] अनुराग । रावण की पिहा सक [पि + धा] ढकना, आच्छादन पीई । एक पत्नी। °कर पुन. आठवाँ करना । बन्द करना। ग्रेवेयक-विमान । °गम न. महाशुक्र देवेन्द्र पिहाण देखो पिहण । का एक यान-विमान । °दाण न [°दान] हर्ष पिहाणिआ स्त्री [पिधानिका] ढकनी । के कारण दिया जाता दान । धम्मिय पिहिअ वि [पिहित] ढका हुआ। बन्द किया न [°धार्मिक ] जैन मुनियों का एक कुल । हुआ । सव वि [स्रव] जिसने आस्रव °मण वि [°मनस् ] प्रोति-युक्त चित्तवाला । को रोका हो । पुं. एक जैन मुनि का नाम । पुं. महाशुक्र देवलोक का एक यान-विमान । पिहिण देखो पिहण । °वद्धण पुं [°वर्धन] कार्तिक मास का पिहिमि (अप) स्त्री [पृथिवी] भूमि, धरती । लोकोत्तर नाम । °पाल पुं. राजा। पीईय पुं [दे] वृक्ष-विशेष, एक गुल्म । पिहीकय वि [पृथक्कृत] अलग किया हुआ। । | पीऊस न [पीयूष] अमृत । पिहु वि [पृथु] विस्तीर्ण । पुं. एक राजा का | पीड सक [पीडय ] हैरान करना । अभिभूत नाम । °रोम पुं. मत्स्य । करना, व्याकुल करना । दबाना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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