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________________ ५७० विशेष | गम पुं. वर्षा - प्रारम्भ । पाउसिअ वि [ प्रावृषिक ] वर्षा सम्बन्धी | पाउसिअ वि [ प्रोषित, प्रवासिन् ] प्रवास में गया हुआ । पाउसिआ स्त्री [प्राद्वे बिकी] द्वेष - मत्सर से होने वाला कर्म-बन्ध | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पाउहारी स्त्री [दे. पाकहारी] भात - पानी ले आनेवाली । अ [] प्रभृति, ( वहां से ) शुरू करके । पाए सक [पायय् ] पिलाना । पाए सक [पादय् ] गति कराना । पाए सक [पाचय् ] पकवाना | पाओ अ [प्रातस्] प्रभात । पाओकरण देखो पाउकरण । पाओग देखो पाउग्ग । पाओगिय वि [प्रायोगिक ] प्रयत्न-जनित, अस्वाभाविक | पाओग्ग देखो पाउग्ग । पाओपगम न [ पादपोपगम] देखो पाओ वगमण । पाओयर पुं [प्रादुष्कार] देखो पाउकरण । पाओवगमण न [ पादपोपगमन] अनशन - विशेष, मरण- विशेष । पाकम्म न [ प्राकाम्य ] योग की आठ सिद्धियों में एक सिद्धि । पाकार पुं [प्राकार] दुर्ग । पाकिद (शौ) देखो पागय । Jain Education International पाउसिअ - पाडल पाखंड देखो पाखंड | पाग पुं [ पाक] पचन क्रिया । दैत्य विशेष । विपाक । बलवान् दुश्मन । " सासण पुं [शासन] इन्द्र, देव पति । सासणी स्त्री [° शासनी ] इन्द्रजाल-विद्या | पाइअ वि [ प्राकृतिक ] स्वाभाविक । पुं. साधारण मनुष्य, प्राकृत लोक । पागड सक [प्र + कटय् ] प्रकट करना, व्यक्त करना । पागड वि [ प्रकट] व्यक्त, खुला । पागढि पागढिक पाटप (चूपै) देखो वाडव । पाठी देखो पाढीण । पाओवगय वि [ पादपोपगत ] अनशन - विशेष पाड देखो फाड = पाट्य । पाड सक [पातय् ] गिराना । से मृत पाओस पुं [दे. प्रद्वेष ] मत्सर, द्वेष | पाओसिय देखो पादोसिय । पाड देखो पाडय = पाटक । पाडच्चर वि [दे] आसक्त चित्तवाला । पाडचर पुं [पाटच्चर ] चोर | पाओसिया देखो पाउसिआ । पांडव व [ ] जलार्द्र । पाडण न [पाटन ] विदारण । पांडु देखो पंडु |°सुअ पुं [° सुत] अभिनय पाडण न [ पातन] गिराना । परिभ्रमण । का एक भेद । पाडय पुं [पाटक] मुहल्ला । पाक देखो पाग | पाsय वि [ पातक ] गिरानेवाला । पाडल पुं [ पाटल] गुलाबी रंग । वि श्वेत और रक्त वर्ण, श्वेत रक्त वर्णवाला । न. पाटलिका - पुष्प, गुलाब का फूल । पाढल का फूल | वि [प्राकर्षिन्, 'क] अग्र गामी । प्रवर्त्तक । पाब्भ न [ प्रागल्भ्य ] घृष्ठता । पागय वि [ प्राकृत] स्वाभाविक । आर्यावर्त्त की प्राचीन लोक भाषा । पुं. साधारण बुद्धिवाला मनुष्य, सामान्य लोग । ' भासा स्त्री [भाषा] प्राकृत भाषा | 'वागरण न [ व्याकरण] प्राकृत भाषा का व्याकरण | पागार पुं [प्राकार] दुर्ग । पाजावच्च पुं [ प्राजापत्य] वनस्पति का अधिठाता देव । वनस्पति । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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