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________________ ५६२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पवहण-पविद्धंस पवहण पुन [प्रवहण] नौका, जहाज । गाड़ी | पवाहण न [प्रवाहन] जल । बहाना । आदि वाहन । पवि पुं पवि वज्र। पवहाइअ वि [दे] प्रवृत्त । पविभिअ वि [प्रविजृम्भित] प्रोल्लसित, पवा स्त्री [प्रपा] प्याऊ । समुत्पन्न । पवाइ वि [प्रवादिन] वादी । दार्शनिक । पविआ स्त्री [दे] पक्षी का पान-पात्र । पवाइअ वि [प्रवात] बहा हुआ । पविइण्ण वि [प्रवितीर्ण] दिया हुआ । पवाइअ वि [प्रवादित] बजाया हुआ । पविइण्ण वि [प्रविकीर्ण] व्याप्त । विक्षिप्त, पवाड सक [प्र + पातय्] गिराना । निरस्त । पवाण (अप) देखो पमाण = प्रमाण । पविकत्थ सक [प्रवि+कत्थ्] आत्म-श्लाघा पवादि देखो पवाइ। करना। पवाय अक [प्र + वा] सुख पाना। बहना पविकसिय वि [प्रविकसित ] प्रकर्ष से (हवा का)। सक. गमन करना । हिंसा करना । विकसित । पवाय पुं [प्रवाद] जनश्रुति । परम्परा-प्राप्त । पविकिर सक [प्रवि + कृ] फेंकना । पविक्खिअ वि [प्रवीक्षित] निरीक्षित, अवउपदेश । मत, दर्शन । लोकित । पवाय पुं [प्रपात] गर्त, गड्ढा । ऊँचे स्थान पविक्खिर देखो पविकिर । से गिरता जल-समूह । तट-रहित निराधार पविग्ध वि [दे] विस्मृत। पर्वत-स्थान । रात में पड़नेवाली धाड़, धारा। पविचरिय वि [प्रविचरित] गमन-द्वारा सर्वत्र पतन । दह पुं [°द्रह] वह कुण्ड जहाँ पर्वत व्याप्त। पर से नदी गिरती हो। पविज्जल वि [प्रविज्वल] प्रज्वलित । रुधिपवाय पुं प्रवात] प्रकृष्ट पवन । वि. बहा । राधि से व्याप्त । हुआ (पवन)। पवन-रहित । | पविट्ठ वि [प्रविष्ट] घुसा हुआ । पवायग वि [प्रवाचक पाठक, अध्यापक। पविणी सक [प्रवि + णी] दूर करना। पवायण न [प्रवाचन] प्रपठन, अध्ययन । पवित्त [पवित्र] दर्भ, कुशा । वि. निर्दोष, पवायय देखो पवायग। शुद्ध, स्वच्छ। पवाल पुन [प्रवाल] नवांकुर, किसलय । मंगा, पवित्त देखो पवट्ट = प्रवृत्त । विद्रुम । °मंत, °वंत वि [°वत्] प्रवाल- पवित्त सक [पवित्रय] पवित्र करना। वाला । पवित्तय न [पवित्रक] अंगूठी । पवालिअ वि [प्रपालित] जो पालने लगा पवित्ताविय वि [प्रवत्तित] प्रवृत्त किया हुआ । हो। पवित्ति देखो पवत्ति = प्रवृत्ति । पवास पुं [प्रवास] विदेश गमन । पवित्तिणी देखो पवत्तिणी। पवासि । वि [प्रवासिन्] मुसाफिर । पवित्थर अक [प्रवि + स्तु] फैलाना। पवासु । पवित्थरिल्ल वि [प्रविस्तरिन्] विस्तारवाला । पवाह सक [प्र+वाहय] बहाना, चलाना । देखो पविरल्लिय। पवाह देखो पवह = प्रवाह । पविद्ध देखो पव्विद्ध। पवाह पुं [प्रबाध] प्रकृष्ट पीड़ा । पविद्धंस अक [प्रवि + ध्वंस्] विनाशाभिमुख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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