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________________ परिभोत्तु-परियादि संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ५५१ एक ही बार भोग किया जाय-जो एक ही | छना। बार काम में लाया जाय वह आहार, पान | परिमेय देखो परिमिण । आदि । बाह्य वस्तुओं का भोग । आसेवन ।। परिमोक्कल वि [ दे. परिमुक्त ] स्वैर । परिभोत्तु देखो परिभुंज का हेकृ. । परियंच सक [परि+अञ्च्] पास में जाना । परिमइल सक [परि + मृज] मार्जन करना। स्पर्श करना । विभूषित करना।। परिमउअ वि [परिमृदुक] विशेष कोमल । | परियंच सक [परि +अच्] पूजना । अत्यन्त सुकर, सरल। परियंचण न [पर्यञ्चन] स्पर्श करना । देखो परिमउलिअ वि [परिमुकुलित] चारों ओर | पलियंचण । से संकुचित । परियंद सक [परि + वन्द्] स्तुति करना । परिमंडण न [परिमण्डन] अलंकरण, विभूषा। परियच्छ सक [दृश्] देखना । जानना । परिमंडल वि [परिमण्डल] वृत्त, गोलाकार । | परियच्छिय देखो परिकच्छिय। परिमंडिय वि [परिमण्डित] विभूषित, परियच्छी देखो [परिकक्षी] परदा । सुशोभित । परियत्थि स्त्री [पर्यस्ति] देखो पल्हत्थिया । परिमंद वि [परिमन्द मन्द, अशक्त । परियप्प सक [परि + कल्पय] कल्पना करना, परिमग्ग सक [परि + मार्गय] अन्वेषण चिन्तन करना। करना । माँगना, प्रार्थना करना। परियय पुं [परिचय] जान-पहचान, विशेष परिमट्ट वि [परिमृष्ट] घिसा हुआ । आस्फा रूप से ज्ञान । लित । माजित, शोधित ।। परियय वि [परिगत] अन्वित, युक्त । परिमह सक [परि + मर्दय] मर्दन करना। परियाइ सक [पर्या+दा] समन्ताद् ग्रहण मालिश करना । पैर दबाना । करना । विभाग से ग्रहण करना । परिमन्न सक [परि + मन्] आदर करना । परियाइअ देखो परियाईय । परिमल सक [परि + मल, मृद्] घिसना । परियाइत्त वि [पर्याप्त] काफी । मर्दन करना। परियाईय वि [पर्यायातीत] पर्याय को अतिपरिमल पुं. कुंकुम-चन्दनादि का मर्दन । क्रान्त । सुगन्ध । परियाग देखो पज्जाय। परिमलण न [परिमलन] परिमर्दन । परियागय वि [पर्यागत] पर्याय से आगत । विचार । सर्वथा निष्पन्न । परिमा (अप) देखो पडिमा । परियाण सक [परि + ज्ञा] जानना । परिमाइ स्त्री [परिमाति] परिमाण । परियाण न [परित्राण] रक्षण । परिमाण न. मान, नाप । परियाण न [परिदान] विनिमय, बदला, परिमास पुं [परिमर्श] स्पर्श । लेनदेन । समन्ताद् दान । परिमास पुं [दे] नौका का काष्ठ-विशेष ।। परियाण न [परियान] गमन । वाहन, यान । परिमिज्ज परिमिण का कृ.। अवतरण । परिमिला अक[ परि + म्लै ] म्लान होना। | परियाणिअ पुंन [परियानिक] यान, परिमुट्ठ वि [परिमृष्ट] स्पृष्ट । वाहन । विमान-विशेष । परिमुस सक [परि + मृश्] स्पर्श करना, | परियादि देखो परियाइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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