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________________ हुआ। परिताव-परिपिडिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष बन्धन। परित्तीकर सक [परीती + कृ] लघु करना, पारताव देखो पारतप्प = परि+तापय् । छोटा करना । परिताव पुं [परिताप] सन्ताप, दाह । पश्चा-परित्थोम न [परिस्तोम मस्तक । वि. वक्र । त्ताप । पीड़ा। यर वि [°कर] दुःखो- परिथंभिअ वि परिस्तम्भित] स्तब्ध । त्पादक। परिथु सक [परि + स्तु] स्तुति करना । परिताविअ वि [परितापित]सन्तापित । तला | परिदा सक [परि + दा] देना । परिदाह पं सन्ताप। परितास पुं [परित्रास] अकस्मात् भय । परिदिण्ण वि [परित्त] दिया हुआ । परितुट्टिर वि [परित्रुटित] टूटनेवाला । परिदिद्ध वि [परिदिग्ध] उपलिप्त । परितु? वि [परितुष्ट] सन्तुष्ट । परिदेव अक [परि + देव] विलाप करना । परितुलिय वि [परितुलित] तौला हुआ । परिदो अ [परितस्] चारों ओर से । परितेज्जि परित्तज का. सं. कृ. । परिधम्म पुं परिधर्म] छन्द-विशेष । परितोल सक [परि + तोलय] उठाना। परिधाम पुंन [परिधामन्] स्थान । परितोस सक[परि + तोषय] खुश करना । परिनट्ठ वि [परिनष्ट] विनष्ट । सन्तुष्ट करना । परिनिक्खम देखो पडिनिक्खम । परित्त वि [परीत] व्याप्त । प्रभ्रष्ट । संख्येय, | परिनिय सक [परि + दृश्] देखना, अवलोकन जिसकी गिनती हो सके ऐसा । अन्तवाला, करना। परिमित, नियत परिमाणवाला । लघु, छोटा। परिनिवि वि [परिनिविष्ट] ऊपर बैठा तुच्छ, हलका । एक से लेकर असंख्येय जीवों | हआ । का आश्रय, एक से लेकर असंख्येय जीव- | परिनिव्वअ , वि [परिनिवत] मोक्ष को वाला । एक जीववाला। करण न. लघुकरण। परिनिव्वड ) प्राप्त । शान्त, ठण्ढा । जीव पुं. एक शरीर में एकाकी रहनेवाला | स्वस्थ । जीव । °णंत न [नन्त] संख्या-विशेष । परिन्नाय वि [प्रतिज्ञात] जिसकी प्रतिज्ञा की °संसारिअ वि [ संसारिक] परिमित संसार- | गई हो वह । वाला। संख न [°संख्यात] संख्या- | परिपंथग वि [प्रतिपंथक] दुश्मन, विरोधी । विशेष । परिपंथिअ वि [ परिपन्थिक ] प्रतिकूल । परित्तज देखो परिचय । परिपंथिग परित्ता । सक [परि +त्रै] रक्षण करना। | परिपाग पुं [परिपाक] विपाक, फल । परित्ताअ परिपाडल वि [परिपाटल] सामान्य लाल परित्ताणतय पुन [परीतानन्तक] संख्या रंगवाला, गुलाबी रंग का। विशेष । परिपाल सक [परि + पालय] रक्षण करना । परित्तास देखो परितास। | परिपासय [दे] देखो परिवास। परित्तासंखेज्जय पुंन [परीतासंख्येयक] | ( रिपिअ सक [परि + पा] पीना, पान संख्या-विशेष । करना। परित्तीकय वि [परीतीकृत] संक्षिप्त किया परिपिडिय वि [परिपिण्डित] एकत्र समुदित, हुआ, लघूकृत । । इकट्ठा किया हुआ । न. गुरु-वन्दन का एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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