SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 557
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पयर-पया पयर पुं [प्रदर] योनि का रोग-विशेष । विदा- | पयलाइया स्त्री [दे] हाथ से चलनेवाले जन्तु रण, भंग । शर, बाण । की एक जाति । पयर देखो पइर = वप् । पयलाय देखो पयला = प्रचलाय् । पयर देखो पयार = प्रकार । पयलाय पुं [दे] महादेव । साँप । पयर देखो पयार प्रचार । पयलायण न [प्रचलायन] देखो पयलाइअ । पयर पुंन [प्रतर] पत्रक, पत्रा, पतरा। वृत्त पयलायभत्त पुं [दे] मोर । पत्राकार आभूषण-विशेष। गणित-विशेष, पयलिअ देखो पयडिअ। सूची से गुणी हुई सूची। भेद-विशेष, बाँस पयलिय वि [प्रदलित] तोड़ा हुआ। आदि की तरह पदार्थ का पृथग्भाव । °तप पयले सक [प्र = चालय] चलायमान करना । पुन [तपस्] तप-विशेष । °वट्ट न [°वृत्त] | पयल्ल अक [प्र+स] पसरना, फैलना । संस्थान-विशेष । पयल्ल अक [कृ] शिथिल करना, ढीला होना । पयर न [प्रतर] गणित-वशेष, श्रेणी से गुनी । | लटकना। हुई श्रेणी। पयल्ल वि [प्रसृत] फैला हुआ। पयरण न [प्रकरण] प्रस्ताव, प्रसंग । एकार्थ- पयल्ल पुं [प्रकल्य] महाग्रह-विशेष । प्रतिपादक ग्रन्थ । एकार्थ-प्रतिपादक ग्रन्थांश । पयव सक [प्र + तप, तापय्] तपाना । पयरण न [प्रतरण] प्रथम दातव्य भिक्षा । पयव सक [पा] पीना, पान करना । पयरिस देखो पयंस। पयवई स्त्री [दे] सेना, लश्कर । पयरिस देखो पगरिस। पयवि स्त्री [पदवि] देखो पयवी। पयल अक [प्र + चल] चलना। स्खलित पयवी स्त्री [पदवी] रास्ता । बिरुद, होना । पदवी। पयल देखो पयड - प्र + कटय् । पयह सक [प्र + हा] त्याग करना, छोड़ना । पयल देखो पयड प्रकट । पयहिण देखो पदक्षिण = प्रदक्षिण । पयल (अप) सक [प्र + चालय] चना । | पया सक [प्र+ जनय] प्रसव करना, जन्म गिराना। देना। पयल वि [प्रचल] चलायमान, चलनेवाला। पया सक [प्र+या] प्रस्थान करना । पयल पुं [दे] नीड़। | पया स्त्री [दे] चुल्ली, चुल्हा । पयल° ) स्त्री [दे. प्रचला] नींद । बैठे-बैठे | पया स्त्री. ब. [प्रजा] वशवर्ती मनुष्य, रैयत । पयला और खड़े-खड़े जो नींद आती है जन-समूह । जन्तु-समूह । सन्तान वाली स्त्री। वह । जिसके उदय से बैठे-बैठे और खड़े खड़े सन्तान । °णंद पुं [°नन्द] एक कुलकर नींद आती है वह कर्म । °पयला स्त्री पुरुष का नाम । °नाह पुं [°नाथ] राजा । [दे. प्रचला] जिसके उदय से चलते चलते "पाल पुं. एक जैन मुनि जो पाँचवें बलदेव के निद्रा आती है वह कर्म । चलते-चलते आने- पूर्वजन्म में गुरु थे। वइ पुं [°पति] वाली नोद । विधाता। प्रथम वासुदेव के पिता का नाम । पयला अक [प्रचलाय] निता लेना। रोहिणी-नक्षत्र का अधिष्ठायक देव । दक्ष, पयलाइअ न [प्रचलायित] नींद के कारण | कश्यप आदि ऋषि । नरेश । रवि । अग्नि । बैठे-बैठे सिर का डोलना। त्वष्टा। पिता। कीट-विशेष । जामाता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy