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________________ पडिवह-पडिसंधया संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ५२१ ढोना। पडिविद्धंसण न [प्रतिविध्वंसन] विनाश । पडिवह देखो पडिपह। पडिविप्पिय न [प्रतिविप्रिय] अपकार का पडिवह पुं [प्रतिवध, परिवध] वध, हत्या । | बदला, बदले के रूप में किया जाता अनिष्ट । पडिवा देखो पडिवया। पडिविरइ स्त्री [प्रतिविरति] निवृत्ति ।। पडिवाइ वि [प्रतिवादिन्] प्रतिवाद करने- पडिविरय वि [प्रतिविरत]निवृत्त । वाला, वादी का विपक्षी । पडिविसज्ज सक [प्रतिवि + सर्जय] विसर्जन पडिवाइ वि [प्रतिपादिन्] प्रतिपादन करने करना, विदा करना। वाला। पडिवाइ वि [प्रतिपातिन्] विनश्वर । फूंक से पडिविहाण न [प्रतिविधान] प्रतीकार । दीपक के प्रकाश के समान एकाएक नष्ट होने पडिवुज्झमाण पडिवह = प्रति + वह, का वाला अवधिज्ञान । कवकृ.। पडिवाइय देखो पडिवाइ - प्रतिपातिन् । पडिवुत्त वि [प्रत्युक्त] न. प्रत्युत्तर । पडिवाडि देखो परिवाडि। पडिवुद (शौ) वि [परिवृत्त परिकरित । पडिवाद (शौ) सक [प्रति + पादय] प्रति पडिवूद पुं [प्रतिव्यूह] व्यूह का प्रतिपक्षी व्यूह, पादन करना, निरूपण करना । सैन्य-रचना-विशेष । पडिवादय वि [प्रतिपादक प्रतिपादन करने- पाडवूहण वि [ प्रतिबृंहण ] बढ़नेवाला । न. वाला। वृद्धि, पुष्टि । पडिवाय सक [प्रति + वाचय] लिखने के पडिवेस पुं [दे] विक्षेप, फेंकना । बाद उसे पढ़ लेना । फिर से पढ़ लेना। पडिवेसिअ वि [प्रतिवेश्मिक] पड़ोसी । पडिवाय सक [प्रति + पादय] प्रतिपादन पडिवोह देखो पडिबोह । करना, निरूपण करना। पडिसंका स्त्री [प्रतिशङ्का] भय, शंका । पडिवाय पुं. [प्रतिपात] पुनः-पतन, फिर से पडिसंखा सक [प्रतिसं + ख्या] व्यवहार गिरना । नाश । करना, व्यपदेश करना। पडिवाय पुं [प्रतिवाद] विरोध । ५डिसंखिव सक [प्रतिसं + क्षिप्] संक्षेप पडिवाय पुं [प्रतिवात] प्रतिकूल पवन । करना। पडिवारय देखो परिवार । पडिसंखेव सक [ प्रतिसं + क्षेपय् ] सकेलना, पडिवाल सक [प्रति + पालय] प्रतीक्षा | समेटना । करना । रक्षण करना । पडिसंचिक्ख सक [प्रतिसम् + ईश्] चिन्तन पडिवास पुं [प्रतिवास] औषध आदि को | करना। विशेष उत्कष्ट बनानेवाला चूर्ण आदि । पडिसंजल सक [प्रतिसं + ज्वालय्] उद्दीपित पडिवासर न [प्रतिवासर] हर रोज ।। करना। पडिवासुदेव पुं [प्रतिवासुदेव] वासुदेव का पडिसंत वि [परिशान्त] शान्त, उपशान्त । प्रतिपक्षी राजा। पडिसंत वि [प्रतिश्रान्त] विश्रान्त । पडिविक्किण सक [प्रतिवि + क्री] बेचना। पडिसंत वि [दे] प्रतिकूल । अस्तमित । पडिविज्जा स्त्री [प्रतिविद्या विरोधी विद्या। पडिसंध । सक [प्रतिसं + धा ] फिर से पडिवित्थर पुं [प्रतिविस्तर] परिकर, पडिसंधया । साँधना । उत्तर देना । अनुकूल विस्तार। करना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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