SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 531
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पडंसुत्त-पडिअर पडंसुत्त देखो पडिसुद। पडाली स्त्री [दे] पंक्ति, श्रेणी। घर के ऊपर पडच्चर पुं [दे] साला जैसा विदूषक आदि । की चटाई आदि की कच्ची छत । पडच्चर पुं [पटच्चर चोर । पडास देखो पलास। पडज्झमाण देखो पडह - प्र+दह का कवकृ. । पडि वि [पटिन्] वस्त्रवाला। पडण न [पतन] पात, गिना। पडि अ [प्रति] इन अर्थों का सूचक अव्ययपडणीअ वि [प्रत्यनीक] प्रतिपक्षी। प्रकर्ष । सम्पूर्णता । विरोध । विशेष, पडपुत्तिया स्त्री [पटपुत्रिका] छोटा वस्त्र, विशिष्टता । वीप्सा, व्याप्ति । वापस, पीछे । रुमाल । सम्मुखता। प्रतिदान, बदला | फिर से । पडम देखो पढम। प्रतिनिधिपन । निषेध । प्रतिकूलता, विपरीपडल न [पटल] समूह । जैन साधुओं का एक | तता । स्वभाव । सामीप्य । आधिक्य, अतिउपकरण, भिक्षा के समय पत्र पर ढका जाता | शय । सादृश्य । लघुता, छोटाई। श्लाघा । वस्त्र-खण्ड । साम्प्रतिकता, वर्तमानता । निरर्थक भी इसका पडल न [दे] नीव्र, नरिश, मिट्टी का बना | प्रयोग होता हुआ एक प्रकार का खपड़ा जिससे मकान छाए | पडि देखो परि। जाते हैं। पडिअ वि [दे] विघटित, वियुक्त । पडलग पडिअ वि [पतित] गिरा हुआ। जिसने चलने पडलय , स्त्रीन [दे. पटलक] गठरी। को प्रारम्भ किया हो वह। पडवा स्त्री [दे] पट-कुटी, पर-मण्डप, तम्बू । | पडिअंकिअ वि [प्रत्यङ्कित] विभूषित । पडह सक [प्र + दह] जलानः । उपलिप्त । पडह पुं [पटह] नगाड़ा, ढोल । पडिअंतअ पुंदे] नौकर । पडहत्थ वि [दे] पूर्ण भरा हुआ। पडिअग्ग सक [अनु +व्रज्] अनुसरण करना, पडहिय पुं [पाटहिक] ढोली। पीछे जाना। पडहिया स्त्री [पटहिका] छोटा ढोल । पडिअग्ग सक [प्रति + जाग] सम्हालना । पडाअ देखो पलाय = परा+ अय् । भक्ति करना । शुश्रूषा करना। पडाइअ वि [पलायित] भागा हुआ। पडिअग्गिअ वि [दे] परिभुक्त । जिसको बधाई पडाइया स्त्री [पताकिका] छोटी पताका, | दो गयो हो वह । पालित, रक्षित । अन्तर-पताका। | पडिअज्झअ पुं [दे] उपाध्याय, विद्या-दाता पडाग पुं [पटाक, पताक] ध्वजा। गुरु । पडागा । स्त्री [पताका] ध्वज। "इपडाग पडिअलिअ वि [दे] घिसा हुआ। पडाया ) [°ातिपताक] मत्स्य की एक पडिअत्त देखो परि + वत्त = परि + वृत् । जाति । पताका के ऊपर की पताका : हरण पडिअत्तण न परिवर्तन] फेरफार, हेरफेर । न. विजय-प्राप्ति । पडिअमित्त पुं [प्रत्यमित्र] मित्र-शत्रु, मित्र पडागार न. नौका में लगनेवाला वस्त्र । होकर पीछे से जो शत्रु हुआ हो वह । पडायाण देखो पल्लाण। | पडिअम्मिय वि [प्रतिकर्मित] विभूषित । पडायाणिय वि [पर्याणित] जिस पर पर्याण पडिअर सक [प्रति + चर] बीमार की सेवा बांधा गया हो वह । करना । आदर करना । निरीक्षण करना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy