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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पच्चाया-पच्चूह जन्म लेना। पच्चुज्जीविअ वि [प्रत्युज्जीवित] पुनर्जीवित । पच्चाया अक [प्रत्या + या] ऊपर देखो।। पच्चुट्ठिअ वि [प्रत्युत्थित] जो सामने खड़ा पच्चायाइ स्त्री [प्रत्याजाति, प्रत्यायाति] | हुआ हो वह । उत्पत्ति, जन्म-ग्रहण । पच्चुण्णम अक [प्रत्युद् + नम्] थोड़ा ऊँचा पच्चायाय वि [प्रत्यायात] उत्पन्न । होना। पच्चार सक [उपा+लम्भ्] उलाहना देना। पच्चुत्त वि [प्रत्युप्त] फिर से बोया हुआ । पच्चारण न [उपालम्भन] प्रतिभेद । पच्चुत्तर सक [प्रत्यव + तृ] नीचे आना । पच्चारिअ वि [प्रचारित] चलाया हुआ। पच्चुत्तर न [प्रत्युत्तर] जवाब । पच्चालिय वि [दे. प्रत्यादित] आर्द्र किया | पच्चुत्थ वि [दे] फिर से बोया हुआ । हुआ। पच्चुत्थय । वि [प्रत्यवस्तृत] आच्छाधित । पच्चालीढ न [प्रत्यालीढ] वाम पाद को पीछे | पच्चुत्थय । हटा कर और दक्षिण पाँव को आगे रखकर | पच्चुद्धरिअ वि [दे] सम्मुखागत । खड़े रहनेवाले धानुष्क की स्थिति, धनुषधारियों पच्चद्धार पुं [दे] सम्मुख आगमन । का पैतरा। | पच्चुप्पण्ण वि [प्रत्युत्पन्न] वर्तमान काल. पच्चावड पुं [प्रत्यावर्त] आवर्त के सामने | सम्बन्धी। पुं. वर्तमान काल । 'नय पुं. का आवर्त्त, पानी का भँवर । वर्तमान वस्तु को ही सत्य माननेवाला पक्ष, पच्चावरण्ह पुं [प्रत्यापराल] तीसरा पहर । | निश्चय नय । पच्चासण्ण वि [प्रत्यासन्न] समीप में स्थित, | पच्चुप्फलिअ वि [प्रत्युत्फलित] वापस आया सन्निकट । हुआ। पच्चासत्ति स्त्री [प्रत्यासत्ति] सामीप्य । पच्चुब्भड वि [प्रत्युद्भट] अतिशय प्रबल । पच्चासा स्त्री [प्रत्याशा] अभिलाषा । पच्चुरस न [प्रत्युरस] हृदय के सामने । निराशा के बाद की आशा । लोभ, लालच । पच्चुल्लं अ [दे. प्रत्युत] उलटा । पच्चासि वि [प्रत्याशिन्] वान्त या कय किया | पच्चुवकार देखो पच्चुवयार । हुआ वस्तु का भक्षण करनेवाला । | पच्चुवगच्छ सक [प्रत्युप + गम्] सामने पच्चाह सक [प्रति + बू] उत्तर देना। जाना । पच्चाहर सक [प्रत्या + ह] उपदेश देना। पच्चुवगार ) पुं [प्रत्युपकार] उपकार के पच्चाहुत्त क्रिवि [पश्चान्मुख] पीछे, पीछे की | पच्चुवयार बदले उपकार । तरफ । पच्चुवेक्ख सक [प्रत्युप+ ईक्ष] निरीक्षण पच्चिम देखो पच्छिम । करना। अवलोकन करना। पच्चुअ (दे) देखो पच्चुहिअ । पच्चुहिअ वि [दे] प्रस्तुत, प्रक्षरित, अच्छी पच्चुअआर देखो पच्चुवयार । तरह चूने या टपकनेवाला । पच्चुग्गच्छणया स्त्री [प्रत्युद्गमनता] अभिः | पच्चूढ न [दे] भोजन करने का पात्र, बड़ी मुख गमन । थाली। पच्चुच्चार पुं [प्रत्युच्चार] अनुवाद, अनु- | पच्चूस [दे] देखो पच्चूह = (दे)। भाषण । पच्चूस | पुं [प्रत्यूष] प्रभात काल । पच्चुच्छ्हणी स्त्री [दे] ताजी दारू ।। । पच्चूह । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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