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________________ पइण्णा - परंजित्तु पण स्त्री [प्रतिज्ञा ] शपथ | नियम | तर्क शास्त्र - प्रसिद्ध अनुमान प्रमाण का एक अवयव, साध्य वचन का निर्देश । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पइण्णाद (शौ) वि [ प्रतिज्ञात] प्रतिज्ञा की गई हो वह । पण वि [ प्रतिज्ञावत् ] प्रतिज्ञावाला । पइत्त देखो पउत्त = प्रवृत्त | पत्त वि [ प्रदीप्त ] जला हुआ, प्रज्ज्वलित । पड़त्त देखो पवित्त = पवित्र । पइदि (शौ) देखो पगइ । पइदिण न [ प्रतिदिन ] हर रोज । पइदियह न [ प्रतिदिवस ] हर रोज । पइद्धिय वि [ प्रदिग्ध ] विलिप्त । जिसकी पइस देखो पविस । पइनियय वि [ प्रतिनियत ] मुकर्रर किया हुआ, नियुक्त किया हुआ । पइन्नग देखो पइण्ण । पइन्नय पइप्प देखो पलिप्प | पइप्पईयन [ प्रतिप्रतीक ] हर अंग । पइभयवि [ प्रतिभय] प्रत्येक प्राणी को भय उपजानेवाला | इभा स्त्री [प्रतिभा ] प्रत्युत्पन्न -मति । पइभाणाण न [ प्रतिभाज्ञान] प्रातिभ प्रत्यक्ष । पइमुह वि [प्रतिमुख] सम्मुख | पइरसक [वप्] बोना, वपन करना । परिक्क [. प्रतिरिक्त ] शून्य रहित । विशाल, विस्तीर्ण । तुच्छ । प्रचुर । नितान्त | न. एकान्त स्थान | पइल (अप) देखो पढम । पइलाइया स्त्री [प्रतिलादिका ] हाथ के बल चलनेवाली सर्प की एक जाति । Jain Education International पइल्ल पुं. [दे. पदिक ] ग्रह-विशेष, ग्रहाधिष्ठायक देव - विशेष । रोग विशेष, श्लीपद | पइव पुं [ प्रतिव] एक यादव का नाम । पइरिसन [ प्रतिवर्ष ] हर एक वर्षं । पइवाइ वि [प्रतिवादिन् ] प्रतिपक्षी । ४९१ पइविसिट्ठ वि [ प्रतिविशिष्ट ] विशेष-युक्त | पइविसेस पुं [ प्रतिविशेष ] विशेष, मेद, भिन्नता । पइसमय न [ प्रतिसमय ] प्रतिक्षण | पइसर देखो पविस । पइसार सक [प्र + वेशय् ] प्रवेश कराना । पहंत पुं [दे] इन्द्र का पुत्र जयन्त । पहा सक [ प्रति + हा ] त्याग करना । पई देखो पइ = पति । पईअवि [ प्रतीत ] विज्ञात । विश्वस्त । विख्यात | पअन [ प्रतीक ] अंग, अवयव । पईइ स्त्री [प्रतीति] विश्वास | प्रसिद्धि । पईव देखो लीव | पईव पुं [ प्रदीप ] दीपक । पई वि [ प्रतीप ] प्रतिकूल । पुं. दुश्मन । पईस (अप) देखो इस । उ (अप) वि [ पतित ] गिरा हुआ । पउअ देखो पागय = प्राकृत । पअ पुं [दे] दिवस । पअन [ प्रयुत ] 'प्रयुताङ्ग' को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । पउअंग न [ प्रयुताङ्ग] 'अयुत' को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । परंज सक [ प्र + युज् ] जोड़ना, युक्त करना । उच्चारण करना । प्रवृत्त करना । प्रेरणा करना । व्यवहार करना । करना । प्रयोग करना । परंजग वि [ प्रयोजक ] प्रेरणा करनेवाला | परंजण वि [ प्रयोजन ] प्रयोग करनेवाला । देखो ओअण | स्त्री [ प्रयोजना] प्रयोग । पजणया परंजणा परंजित्तु वि [ प्रयोक्तृ] प्रवृत्ति करनेवाला । जित्तु वि [ प्रयोजयितृ] प्रवृत्ति करनेवाला | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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