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________________ दूमग ) ४७४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष दूभ अक [दुःखय्] दूभना, दुःखित होना। दूस न [दूष्य] वस्त्र । तम्बू । गणि पुं दूभग देखो दुब्भग। [°गणिन्] एक जैन आचार्य । °मित्त पुं दूभग्ग न [दौर्भाग्य]दुष्ट भाग्य । [मित्र] मौर्यवंश के नाश होने पर पाटलीपुत्र दुम सक [द, दावय] परिताप करना, सन्ताप में अभिषिक्त एक राजा । °हर न [गृह] करना। पट-कुटी। दूम देखो दुम = धवलय् । दूसअ वि [दूषक] दोष प्रकट करनेवाला । दूमक । वि [दावक] पीड़ा-जनक । दूसग वि [दूषक दूषित करनेवाला । दोष देखनेवाला। दूमण वि [दावक] उपताप करनेवाला । । दूसण न [दूषण] दोष, अपराध । कलंक, दूमण न [दवन, दावन] परिताप, पीड़न । दाग । पुं. रावण की मौसी का लड़का । वि. दूमण देखो दुम्मण = दुर्मनस् । दूषित करनेवाला। दूमणाइअ वि [दुर्मनायित] उद्विग्न-मनस्क । | दूसम वि [दुष्षम] खराब, दुष्ट । पुं. कालदूयाकार न [दे] कला-विशेष । विशेष, पांचवां आरा। 'दूसमा देखो दूर न. असमीप । अतिशय, अत्यन्त । वि.. दुस्समदुस्समा । सुसमा देखो दूरस्थित । व्यवहित, अन्तरित । °ग वि. | दूरवर्ती । °गइ, °गइअ वि [°गतिक] दूर दूसमा देखो दुस्समा। जानेवाला । सौधर्म आदि देवलोक में उत्पन्न दूसर देखो दुस्सर। होनेवाला । तराग वि [तर] अत्यन्त दूर। दूसल वि [दे] अभागा । त्थ वि [°स्थ] दूरस्थित, दूरवर्ती । 'भविय दूसह देखो दुस्सह । पुं [°भव्य] दीर्घ काल में मुक्ति को प्राप्त दूसहणीअ वि [दुस्सहनीय] दुस्सह, असह्य । करने की योग्यतावाला जीव । °य देखो °ग। दूसासण देखो दुस्सासण। 'वत्ति वि [वतिन्] दूर में रहनेवाला । दूसाहिअ वि [दौस्साधिक] दुसाध जाति में लिइय वि [°ालयिक] मुक्ति-गामी । °ालय उत्पन्न, अस्पृश्य जाति का । पुं. दूर-स्थित आश्रय । मोक्ष । मुक्ति का दूसि पुं[दूषिन्] नपुंसक का एक भेद । मार्ग। दूसिअ वि दूषित] दूषण-युक्त , कलङ्कयुक्त । दूरंगइअ देखो दूर-गइ। पुं. एक प्रकार का नपुंसक । दूरंतरिअ वि [दूरान्तरित] अत्यन्त-व्यवहित । दुसिआ स्त्री [दूषिका] आँख का मैल । दूरचर वि. दूर रहनेवाला। दूसुमिण देखो दुस्सुमिण । दूराय सक [दूराय] दूर स्थित की तरह मालूम दूहअ वि [दुःखक] दुःख-जनक । होना, दूरवर्ती मालूम पड़ना । दूहट्ट वि [दे] लज्जा से उद्विग्न । दूरीकय वि [दूरीकृत] दूर किया हुआ । दूहय देखो दोध। दूरोहूअ वि [दूरीभूत] जो दूर हुआ हो । | दूहल वि [दे] मन्दभाग्य। दूरुल्ल वि [दूरवत्] दुरस्थित, दूरवर्ती ।। दूहव देखो दुब्भग। दूलह देखो दुल्लह । दुहव सक [दुःखय्] दुभाना, दुःखी करना । दूस अक [दुष्] दूषित होना, विकृत होना । दूहिअ वि [दुःखित] दुःख-युक्त । दूस सक [दूषय] दोषित करना । दे अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय-सम्मुख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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