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________________ ४७२ दुव्विभज देखो दुविभज्ज । दुव्विभव्व वि [दुविभाव्य] दुर्लक्ष्य, दुःख जिसकी आलोचना हो सके वह । दुव्विभाव व [दुर्विभाव ] ऊपर देखो । दुव्विलसियन [दुर्विलसित] स्वच्छन्दी संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विलास | जघन्य काम । दुव्विसह वि [दुर्विसह्य ] असह्य । दुव्विसोज्झ वि [दुर्विशोध्य ) शुद्ध करने को अशक्य । दुव्विहिअन [दुर्विहित] दुष्ट अनुष्ठान । वि खराब रीति से किया हुआ । असुविहित, अयशस्वी | दुव्वोज्झ वि [ दुर्वाह्य] दुर्वह, दुःख से ढोनेयोग्य । दुव्वोज्झवि [दे] दुःख से मारने- योग्य । दुसंक न [दुस्संकट] विषम विपत्ति । दुसंचर देखो दुस्संचर । दुसंथ व [ द्विसंस्थ] दो बार सुनने से ही उसे अच्छी तरह याद कर लेने की शक्तिवाला । दुसन्नप्प वि [दुस्संज्ञाप्य] दुर्बोध्य | दुसमदुसमा देखो दुस्समदुस्समा । दुसमसमा देखो दुस्सम सुसमा । दुसमा देखो दुस्समा | दुसह देखो दुस्सह । दुसाह व [दुस्साध] कष्ट साध्य । दुसिक्ख वि [दुशिक्षित ] दुर्विदग्ध । दुसुमिण देखो दुस्सुमिण । दुरसंचार वि [ दुरसंचार ] ऊपर देखो । दुस्संत पुं [दुष्यन्त ] चन्द्रवंशीय एक राजा, शकुन्तला का पति । दुस्संबोह वि [दुस्संबोध] दुर्बोध्य । Jain Education International दुव्विभज- दुस्सिज्जा दुस्सझ वि [दुस्साध्य ] दुष्कर | दुस्सण्णप्प देखो दुसन्नप्प दुस्सत वि [दुस्सत्त्व] दुरात्मा, दुष्ट जीव । दुस्समदुस्समा स्त्री [दुष्षमदुष्षमा ] कालविशेष, सर्वाधम काल, अवसर्पिणी काल का छठवाँ और उत्सर्पिणी काल का पहला आरा, इसमें सब पदार्थों के गुणों की सर्वोत्कृष्ट हानि होती है, इसका परिणाम एक्कीस हजार वर्षों का है। दुस्समसुसमा स्त्री [ दुष्षमसुषमा ] बेयालीस हजार कम एक कोटाकोटि सागरोपम का परिमाणवाला काल - विशेष अवसर्पिणी काल का चतुर्थ और उत्सर्पिणी काल का तीसरा आरा । दुसुरुल्लय न [ दे] गले का आभूषण - विशेष । दुस्स सक [द्विष्] द्वेष करना । दुस्साहड वि [दुस्संहृत] दुःख से एकत्रित किया हुआ । दुस्सउण न [दुश्शकुन अपशकुन । दुस्संचरवि [दुस्संचर ] जहाँ दुःख से जाया दुस्साहिअ वि [ दौस्साधिक] दुस्साध्य कार्य को जा सके, दुर्गम । करनेवाला । दुस्समा स्त्री [दुष्षमा ] दुष्ट काल । एक्कीस हजार वर्षों के परिमाणवाला काल-विशेष, अवसर्पिणी-काल का पाँचवाँ और उत्सर्पिणी काल का दूसरा आरा । दुस्सर पुं [दुःस्वर] खराब आबाज, कुत्सित कण्ठ । कर्म- विशेष जिसके उदय से स्वर कर्ण - कटु होता है । °णाम न ['नामन् ] दुःस्वर का कारण-भूत कर्म । दुस्सल वि. [ दुश्शल] अविनीत । दुस्सह वि. असह्य | दुस्साहय वि [दुस्सोढ़] दुःख से सहन किया हुआ । दुस्सासण पुं [ दुश्शासन] दुर्योधन का एक छोटा भाई, कौरव - विशेष । दुसिक्ख वि [दुश्शिक्ष ] दुष्ट शिक्षावाला, दुर्विदग्ध | दुस्सिक्खि वि [दुशिक्षित ] ऊपर देखो । दुस्सिज्जा स्त्री [दुश्शय्या] खराब शय्या । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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